दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रेप के एक मामले में पीड़ित महिला के खिलाफ ही नोटिस जारी कर दिया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पूछा है कि आखिर उसे रेप का झूठा आरोप लगाने के लिए सजा क्यों न दी जाए। दरअसल, दरअसल कोर्ट ने इस मामले में सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पाया कि सेक्शुअल एक्ट सहमति से हुआ है। जबकि महिला ने रेप का आरोप लगाते हुए झूठी कहानी गढ़ी थी। ऐसे में कोर्ट ने पूछा है कि रेप का झूठा आरोप लगाने पर आखिर महिला को ही सजा क्यों न दी जाए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जज अनु ग्रोवर बलिगा ने कहा कि कथित क्राइम सीन का सीसीटीवी फुटेज पूरे मामले में सबसे अहम सबूत रहा। इसके जरिए कोर्ट सही नतीजे तक पहुंच सका। जज ने कहा कि फुटेज में आरोप लगाने वाली युवती आरोपी को गले लगाती, किस करती और उसके कपड़े उतारती नजर आ रही है।
उन्होंने कहा कि इन तस्वीरों को देखने के बाद स्पष्ट है कि महिला और आरोपी के बीच आपसी सहमति से संबंध बना। ये साइंटिफिक एविडेंस बताता है कि महिला ने झूठा आरोप लगाया था।

कोर्ट ने इस मामले में युवक पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उसे बरी कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि रेप का गलत आरोप लगाने पर महिला को सजा दी जानी चाहिए।

महिला के अनुसार साल 2007 में पति के तलाक के बाद एक मैट्रीमोनियल साइट के जरिए वो युवक के संपर्क में आई थी। युवक के नाम पर ही उसने एक फ्लैट लीज पर लिया था, जिसमें वो अपनी बेटी के साथ रहती थी। 19 मार्च 2013 को उसे अपने मकान मालिक से घर खाली करने का नोटिस मिला। मकान का एग्रिमेंट युवक के नाम पर था, इसलिए वो उसके ऑफिस गई। महिला ने रेप का आरोप लगाते हुए बताया था कि यहां युवक ने उसे कॉफी पिलाई, जिसे पीने के बाद हो बेहोश हो गई। इसके बाद जब वो होश में आई तो बिना कपड़ों के कारपेट पर पड़ी हुई थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here