मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जिन्होंने न्याय देने में कभी देरी नहीं की। अपनी अर्धांगिनी सीता की अग्निपरीक्षा ली तो खुद को भी सरयू के जल में समाहित कर लिया। आज उसी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और उनकी अयोध्या को न्याय का इंतजार है। राम रामजन्मभूमि को हमले के 13 साल बाद भी इंसाफ की प्रतीक्षा में है। 5 जुलाई 2005 को अयोध्या के रामलला के अस्थायी आशियाने पर फिदायीन हमला हुआ था। राम के आशियाने पर खूनी खेल खेला गया, इसकी 13वीं बरसी भी आई और चली गई। लेकिन अयोध्या को अब तक इंसाफ नहीं मिल सका है।

पांचों फिदायीन हुए थे ढेर, पांच आरोपी नैनी जेल में बंद

भगवान राम के आशियाने के हमलावर और अयोध्या के गुनहगार जेल में तो बंद है। लेकिन मुकदमा विचाराधीन होने के कारण उन्हें सजा नहीं मिल पा रही है। इस फिदायीन हमले में अयोध्या का एक गाइड और एक महिला भी अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठी थी। प्रत्यक्षदर्शी और रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास भी न्याय की राह देख रहे हैं।

यह मुकदमा फैजाबाद के वकीलों के विरोध के चलते 20 सितम्बर 2006 को इलाहाबाद ट्रांसफर कर दिया गया था। लेकिन, आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम की अयोध्या के संत और महंत फैसले की बाट जोह रहे हैं।

फिदायीन हमले की 13वीं बरसी, न्याय है दूर

5 जुलाई 2005 को रामजन्मभूमि पर हुए फिदायीन हमले में पांचो आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था और जांच के दौरान अलग अलग जगहों से 5 संदिग्ध आतंकवादी गिरफ्तार किये गए थे। सर्विलांस के जरिये जांच टीमों ने आसिफ इक़बाल, डॉ इरफ़ान, मोहम्मद अज़ीज़, मोहम्मद शकील और मोहम्मद नसीम को गिरफ्तार किया था। पांचों आरोपी इस समय इलाहाबाद की नैनी जेल में बंद है। फैजाबाद के तत्कालीन डीजीसी ओपी सिन्हा सहित रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास को अदालत के फैसले का इंतजार है।

इलाहाबाद सेशन कोर्ट में चल रहा मुकदमा

मामले में पुलिस ने धारा 147,148,149,295,307, 302, 353,153,153A,153B,120B और 7 CLA एक्ट के साथ ही 16,18,19,20 विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। पिछले 13 वर्षों से अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि विवादित परिसर पर फिदायीन हमले का मुकदमा इलाहाबाद सेशन कोर्ट में चल रहा है। अब समय ही बताएगा कि, अयोध्या को कब न्याय मिलेगा ?

                                                                                                                    एपीएन ब्यूरो

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