चुनाव आयोग केंद्र सरकार से कुछ चुनावी सुधारों की मांग कर रहा है। इस मुद्दे को लेकर आयोग ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को खत भी लिखा है। आयोग की मांग है कि, पेड न्यूज,  आधार नंबर को वोटर लिस्ट से जोड़ना और झूठा हलफनामा दाखिल करने की सजा को बढ़ाना (दो साल की कैद) शामिल है।

एक अधिकारिक अखबार के अनुसार चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को खत लिखकर इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के लिए आग्रह किया है। इनमें नए मतदाताओं के लिए एक साल में कई रजिस्ट्रेशन की तारीखें भी शामिल हैं। मंत्रालय के पास ऐसे करीब 40 प्रस्ताव पेंडिंग में हैं। वहीं अगले साल गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में कई अहम बदलाव के रूप में में डिजिटलाइजेशन, मतदाताओं के दोहराव को खत्म करने और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भी वोटिंग का अधिकार देने पर विचार कर रहा है।

वहीं इस मुद्दे पर राजनीतिक नेताओं और विशेषज्ञों ने एक अलग ही तर्क पेश किया है। नेताओं का कहना है, कि उल्लिखित कुछ सुधार अच्छे हैं, लेकिन चुनाव आयोग को रैलियों में अभद्र भाषा के इस्तेमाल और हेट स्पीच को रोकने के लिए भी कुछ करना चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

चुनाव आयोग ने इन पांच मुद्दों  पर ध्यान देने के लिए कहा है।

यह प्रस्तावित किया गया है कि 18 साल के होने वाले मतदाता साल में सिर्फ एक बार रजिस्ट्रेशन कराने में सक्षम हो। वर्तमान में 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले युवा ही मतदाता के रूप में रजिस्ट्रेशन के पात्र हैं। अधिकारी ने कहा, ‘इससे बहुत से लोग पूरा साल खो देते हैं और वोट नहीं दे पाते। आयोग ने इसके बजाय संभावित रजिस्ट्रेशन तारीखों के रूप में 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 सितंबर और 1 दिसंबर को प्रस्तावित किया है।’ 

चुनाव आयोग झूठे हलफनामों पर सख्त कार्रवाई चाहता है। वर्तमान में झूठी या गलत सूचना देने वाले उम्मीदवारों को छह महीने तक की कैद की सजा हो सकती है। आयोग ने इसे बढ़ाकर दो साल करने का सुझाव दिया है। 

चुनाव आयोग ने स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव को लेकर पेड न्‍यूज को चुनाव अपराधों की सूची में शामिल करने के लिए आग्रह किया है। वहीं इस मुद्दे पर मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त सुशील चंद्रा ने हाल ही में इसपर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि आयोग ने विधि मंत्रालय को जरूरी संशोधन का सुझाव दिया है।

यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रिंट मीडिया (समाचार पत्रों, पत्रिकाओं) में विज्ञापनों को मौन अवधि के दौरान प्रतिबंधित कर दिया जाए, क्योंकि इसमें उम्मीदवारों को प्रचार करने की अनुमति नहीं है।

पांचवी और आखिरी मांग है, चुनाव आयोग नए मतदाताओं के वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करना चहाते हैं। इससे मतदाता पहचान पत्र के दोहराव को खत्म किया जा सकता है।

राकेश सिन्हा का बयान

इस मुद्दे पर बीजेपी नेता राकेश सिन्हा ने बायन पेश किया है उन्होंने कहा, भारतीय लोकतंत्र को अधिक मजबूत करन के लिए इस तरह के सुधार जरूरी हैं। उन्होंने कहा, “फर्जी और फर्जी मतदाताओं पर अंकुश लगाने की जरूरत है। सबसे अच्छा तरीका है कि मतदाताओं को उनके आधार कार्ड से जोड़ा जाए।” सिन्हा ने कहा, “चुनाव लड़ने वाला कोई भी व्यक्ति नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारियां रखता है, लेकिन जानबूझकर गलत जानकारी देना लोकतंत्र पर धब्बा है।

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