निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के चुनावी खर्च में पारदर्शिता लाने के लिये प्रतिदिन किए जाने वाले नकद लेनदेन की सीमा 20 हजार से घटाकर 10 हजार रुपये कर दी है। नये दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए चुनाव आयोग ने सभी मुख्य चुनाव अधिकारियों को जानकारी भेज दी है।

भेजी गई जानकारी में चुनाव आयोग ने कहा है कि दस हजार रूपये से अधिक खर्च करने पर प्रत्याशियों एवं दलों को क्रास चैकों, ड्रॉफ्ट या एनईएफटी या आरटीजीएस इलेक्ट्रानिक तरीकों के माध्यम से भुगतान करना होगा।

अब एक उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान किसी एक व्यक्ति या संस्था से नकद में दस हजार रूपये से अधिक का दान या कर्ज नहीं ले सकेगा।

नए बदलाव 12 नवंबर से लागू किए गए हैं और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इन पर अमल किया जाएगा। अब कोई प्रत्याशी किसी व्यक्ति या संस्था से 10 हजार से ज्यादा का चंदा या कर्ज कैश नहीं ले सकेगा।

बता दें अप्रैल 2011 में चुनाव आयोग ने रोजाना नकदी खर्च की सीमा 20 हजार रूपये तय की थी लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 40 ए(3), 2017 में संशोधन को ध्यान में रखकर इसमें परिवर्तन किया गया है।

वर्तमान में, चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवारों के लिए प्रचार के संबंध में सीमा तय है, लेकिन राजनीतिक दल द्वारा चुनाव प्रचार पर किए जाने वाले खर्च की ऐसी कोई सीमा नहीं है।

चुनाव आयोग के नियमानुसार प्रत्येक प्रत्याशियों को चुनाव से पहले एक नया बैंक अकाउंट खुलवाकर चुनाव के खर्च का ब्योरा देना होगा। साथ ही प्रत्येक प्रत्याशी 28 लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे।

अगर किसी उम्मीदवार ने इस सीमा से अधिक व्यय किया तो नामंकन भी रद्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में खर्च सीमा 16 लाख रुपये थी जिसे इस बार बढ़ा दिया गया है।

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