2019 का लोकसभा चुनाव लड़ते समय प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रेकॉर्ड्स का विज्ञापन देना होगा। उम्मीदवारो को यह विज्ञापन अखबारों और टीवी चैनलों के माध्यम से मतदाताओं को देना होगा। उन्हें सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा बड़े अक्षरों में अखबारों छपवाना होगा। टीवी चैनलों में भी ऐसे मामलों की जानकारी विस्तार से देनी होगी।

यहीं नहीं, ऐसे नेताओं को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों को भी इस बारे में अपनी वेबसाइट पर विस्तार से बताना होगा। दरअसल यह कवायद देश की राजनीति से आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं को दूर रखने के लिए है। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दिशानिर्देश जारी किए थे। अब चुनाव आयोग उनका सख्ती से पालन करने जा रहा है।

इसलिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजकर इस बारे में नए दिशानिर्देश दिए हैं। उप मुख्य चुनाव अधिकारी अनिल वलवी ने कहा कि राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव आयोग का नोटिस भेजा जा रहा है। आपराधिक रेकॉर्ड वाले उम्मीदवार अभी तक चुनाव आयोग को शपथपत्र देकर काम चला लेते थे। लेकिन अब आयोग ने साफ कहा है कि केवल शपथपत्र से काम नहीं चलेगा।

आपराधिक रेकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों पर भी चुनाव आयोग अंकुश लगाने जा रहा है। उन्हें भी अपने ऐसे उम्मीदवारों के आपराधिक रेकॉर्ड की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। साथ ही, इस बारे में अखबारों में प्रकाशित कराना होगा और चैनलों पर भी प्रसारित कराना होगा। नामांकन के समय सी फॉर्म में भी यह सब बताना होगा। चुनाव के 30 दिन के अंदर यह तमाम जानकारी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को देना अनिवार्य होगा।

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