दिल्ली की सर्दी के साथ किसानों का आंदोलन भी तेज होते जा रहा है। तीन कृषि कानून के खिलाफ किसान पिछले 44 दिनों से दिल्ली- यूपी बॉर्डर, दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर और दिल्ली-पंजाब बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इस कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसी विषय पर आज फिर आठवें दौर की बात चीत होने वाली है। 7 दौर की बातचीत में सरकार ने किसानों की दो मांगों पर मुहर लगा दी है। अब बारी है कृषि कानून को रद्द करने की।

किसानों से वार्ता करने के पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल गृह मंत्री अमित शाह के साथ वार्ता कर रहे हैं। किसानों के मुद्दे पर गहन चर्चा हो रही है।

किसानों के आंदोलन के कारण सड़के जाम हैं। लोग बेहाल हैं। सरकार और किसान दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं। जिद इस कदर है कि बारिश में अन्नदाता सड़कों पर डटे रहे। वे टस से मस नहीं हुए। इतनी दिक्कतों के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि आज किसानों का मसला हल हो जाएगा।

वार्ता से पहले कृषि मंत्रियों का बयान भी सामने आने लगा है। किसानों के साथ 8वें दौर की बातचीत से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि, मुझे उम्मीद है कि वार्ता सकारात्मक माहौल में होगी और इसका समाधान निकलेगा। चर्चा के दौरान, हर पक्ष को एक समाधान तक पहुंचने के लिए कदम उठाने होंगे। 

वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा,  कि पहले की वार्ता में किसान यूनियन के नेताओं का विषय था कि हम इसमें सुधार चाहते हैं। सरकार सुधार के लिए तैयार है। मुझे विश्वास है कि आज की वार्ता में वे इस बात को समझेंगे। किसान यूनियन के नेता सोचकर आएंगे कि समाधान करना है तो समाधान अवश्य होगा। 

उन्होंने आगे कहा, कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों के साथ वार्ता द्वारा क्लॉज बाई क्लॉज समाधान ढूंढा जाएगा। भारत सरकार कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है। हम समाधान को लेकर को आशान्वित हैं। 

किसानों का कहना है कि, बारिश हो या आंधी आए हम कृषि कानून के रद्द होने के बाद ही यहां से हटेंगे। खबर है कि किसान संगठन 26 जनवरी के दिन संसद भवन की ओर कूच करने वाले हैं।

26 जनवरी की तैयारी आंदोलनकारी किसान कल से कर रहे हैं। आठवें दौर की वार्ता से पहले किसानें ने ट्रैक्टर मार्च निकाला। और कहा ये तो अभी झाकी है पूरा खेल बाकी है।

किसानों का इस ट्रैक्टर मार्च में साथ दे रहे भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्त राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि, “अगर आंदोलन 2024 तक करना पड़ा तो करेंगे लेकिन यहां से कृषि कानून को रद्द कराने के बाद ही हटेंगे।”

बता दें कि, किसान आंदोलन के पहले दिन से कहा रहे है कि वे इस कानून के खिलाफ लड़ने के लिए 6 महीने की तैयारी कर के दिल्ली की सरहद पर आए हैं। और इस के बाद राकेश सिंह टिकैत का बयान आना बड़े आंदोलन की ओर इशारा करता है।

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