Eid Milad-un-Nabi 2021: ईद मिलाद उन नबी (Eid Milad-un-Nabi), पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। अरबी में इसे मवलीद के तौर पर भी जाना जाता है जिसका मतलब होता है मुहम्मद का जन्म। ईद मिलाद उन नबी इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने ,रबी अल अव्वल, में मनाया जाता है। ज्यादातर मुस्लिम रबी अल अव्वल के 12वें दिन को मिलाद के तौर पर मनाते हैं जबकि कुछ शिया मुस्लिम महीने की 17वीं तारीख को मिलाद मनाते हैं। भारत में इस साल मिलाद आज शाम से कल शाम तक मनाया जाएगा।
Eid Milad-un-Nabi का इतिहास और महत्व
इस दिन के इतिहास की बात की जाए तो ईद मिलाद उन नबी तब से मनाया जाता है जब से इस्लाम धर्म की शुरुआत हुई है। पैगंबर मुहम्मद को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता रहा है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ते हैं, रोजे रखतें हैं और जकात (दान) करते हैं। मुस्लिम समाज के अधिकतर फिरके इस दिन को मनाते हैं लेकिन वहाबी-सलाफी, देवबंदी मत के मुस्लिम इसे त्योहार के रूप में मनाने से सहमत नहीं हैं। उनके मुताबिक यह बिद्दत है और इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हालांकि एक मान्यता ये भी है कि इस दिन ही पैगंबर मुहम्मद का निधन भी हुआ था। भारत समेत ज्यादातर मुस्लिम आबादी वाले देश इस दिन छुट्टी रखते हैं लेकिन देशों की सूची में सऊदी अरब और कतर का नाम नहीं है।
पैगंबर मुहम्मद का संक्षिप्त परिचय
पैगंबर मुहम्मद का जन्म सन् 570 में सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। उन्होंने ही इस्लाम धर्म की शुरुआत की थी। मुस्लिम समुदाय की मानें तो पैगंबर मुहम्मद आखिरी पैगंबर थे। पैगंबर मुहम्मद के जन्म से कुछ समय पहले उनके पिता अबदुल्ला का निधन हो गया था। जब पैगंबर मुहम्मद 6 साल के थे तो उनकी मां का भी निधन हो गया था और वे अनाथ हो गए।
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उनके परिवार के दूसरे लोगों ने उनकी देखरेख की। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक जब मुहम्मद 40 साल के हुए तो उनकी मुलाकात जिबराइल से हुई। जिन्होंने उन्हें ईश्वर की इच्छा के बारे में बताया। बाद में ईश्वर की बतायी शिक्षाओं का पैगंबर मुहम्मद प्रचार करने लगे और ऐसे इस्लाम धर्म की शुरुआत हुई। मुस्लिम समुदाय पैगंबर मुहम्मद को ईश्वर का संदेशवाहक मानता है। सन् 632 में पैगंबर मुहम्मद की बीमार पड़ने से मृत्यु हो गई।