भारतीय सेना में टॉप कमांडर और उनके सेकेंड-इन कमांड के बीच कोई मतभेद न रहे इसकी जिम्मेदारी थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने ली है। मतभेद खत्म करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि सितंबर में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच दरार को दूर करने की जिम्मेदारी एक वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल को दी थी। इस खबर की जानकारी एक अधिकारी द्वारा मिली है।

दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुखों के बीच मतभेद

जयपुर स्थित दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख और उनके चीफ ऑफ स्टाफ बीच कमांड मुख्यालय में विभिन्न कार्यालयों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को लेकर मतभेद सामने आए थे । जिसके बाद मतभेद दूर करने का फैसला किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमान सीओआई का संचालन करेंगे।

दक्षिण पश्चिमी कमान में लगभग 130,000 सैनिक हैं और जो कि राजस्थान और पंजाब में पाकिस्तान की भारत की सीमा की रखवाली करती है। ऐसे में दोनों के बीच मदभेद होना खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इस पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। एक व्यक्ति के मतभेद होने के कारण पूरी टुकड़ी पर असर पड़ता है जिसका देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं।

आलोक कलेर और केके रेप्सवाल के बीच मतभेद

दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आलोक कलेर हैं, जो कि एक बख्तरबंद कॉर्प्स अधिकारी हैं। उनकी दूसरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल हैं, जो कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स से हैं। 

पिछले साल दोनों थ्री स्टार रैंक के अधिकारियों से प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के बाद, नरवाणे ने मामले को देखने और कमांड मुख्यालय के कामकाज को कारगर बनाने के उपायों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सितंबर में सेना के तत्कालीन उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी को नॉमिनेट किया था। सैनी 31 जनवरी को रिटायर हुए हैं।

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