दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ट्वीट पर रीट्वीट कर फंसे आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की याचिका को फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने चड्ढा की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने पटियाला हाउस अदालत के समन को रद्द करने का अनुरोध किया था। बता दें यह मामला जेटली पर किए गए ट्वीट को रीट्वीट करने का है, जिसके लिए अरुण जेटली मे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य आप पार्टी नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है।

इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की तरफ से कहा गया है था कि डीडीसीए विवाद में जेटली के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को रिट्वीट करने पर आपराधिक मामले का आरोपी नहीं  बनाया जा सकता है। इसके अलावा इस याचिका से एक और प्रश्न उठ रहा था कि क्या सोशल मीडिया पर आने वाली चीजों को फॉरवर्ड करना, रीट्वीट करना मानहानि के दायरे में आएंगी?

इस याचिका के खारिज होने के बाद न्यायालय ने इस कानूनी सवाल का जवाब फिलहाल देने से इन्कार कर दिया कि किसी के ट्वीट को री-ट्वीट करना मानहानि के दायरे में आता है या नहीं।

दरअसल उच्चतम न्यायालय ने अरुण जेटली के मानहानि मामले में चड्ढा की याचिका का 25 सितंबर तक निपटारा करने का उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था। उन्होंने मानहानि मामले में पटियाला हाउस अदालत के समन जारी करने के आदेश को चुनौती दी थी। आप नेता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करके उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मामले को रद्द करने की मांग की थी।

बता दें इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने जेटली और चड्ढा की तरफ से तीन घंटे दलीले सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान अलदालत में दलीलें पेश की गईं कि रीट्वीट करना किसी टिप्पणी के पुन: प्रकाशन के बराबर नहीं है और ऐसे मामले सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में नहीं आएंगे।

इस दौरान चड्ढा की ओर से पेश आनंद ग्रोवर ने कहा था कि पूरी शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाउनलोड रिकार्ड और एक समाचार पर आधारित है और आईपीसी के तहत यह मामला मानहानि के अपराध का नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि अगर यह इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड है तो यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में होगा।

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