आउटर नॉर्थ जिले के समयपुर बादली थाने में तैनात दिल्ली पुलिस की जबांज महिला पुलिसकर्मी सीमा ढाका ने पुलिस में सभी का भरोसा बढ़ा दिया है। सीमा ने महज तीन माह के भीतर अपने माता-पिता से बिछड़े 76 बच्चों को उनके घर पहुंचाया है। यानी कि जो बच्चे गुम हो चुके थे।

अमूल्य पटनायक के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर बने एस एन श्रीवास्तव ने गुमशुदा हुए बच्चों को खोजने पर जोर दिया इसी कड़ी में  इसी कड़ी में सीमा ढाका को इसी वर्ष अगस्त में गुमशुदा बच्चों को तलाश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। सीमा ने तकरीबन तीन महीने में 76 बच्चों को ढूंढ कर उनके घर वालों को सौंपा है।

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इतने कम समय में बच्चों को उनके मां बाप से मिलाने को लेकर दिल्ली पुलिस का नाम रौशन हुआ है। इसी के चलते सीमा ढाका की पदोन्नति करके उनको दिल्ली पुलिस के आयुक्त के आदेशानुसार एएसआई बना दिया गया है।

सीमा ने तलाशी में रेलवे स्टेशनों से लेकर बस अड्डों पर नशे के आगोश में आए बच्चों के बीच अपनी तलाश जारी रखी। बड़ी संख्या में बच्चों को ढूंढ निकाला। इसमें ऐसी नाबालिग लड़कियों को भी उनके रोते परिवारों से मिलवाया गया जो प्रेम जाल के झांसे में आकर घर से भाग चुकी थीं।

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आए दिन दिल्ली में बच्चों के गुमशुदा होने की खबरें चर्चा में रहती हैं। आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में अभी तक 57261 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई है, जिसमें 21631 बच्चे तलाश किए जा चुके हैं। इसमें दिल्ली पुलिस ने पिछले तीन महीनों में 1440 बच्चों की तलाश कर उनको उनके परिवारों के हवाले किया है।

बता दें कि, सीमा ढाका 2006 में सिपाही के पद पर भर्ती हुई थीं। 2014 में विभागीय परीक्षा देकर हवलदार बन गईं। सीमा ढाका मूलतः यूपी के शामली की रहने वाली हैं। सीमा के पति भी दिल्ली पुलिस में हवलदार हैं और नॉर्थ रोहिणी थाने में तैनात हैं। सीमा का एक 8 साल का बेटा भी है।

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