इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के जज दलवीर भंडारी को जगह मिल गई है। वहीं भारतीय उम्मीदवार दलवीर भंडारी को दोबारा जज चुने जाने पर ब्रिटेन की बौखलाहट देखने को मिल रही है। ब्रिटिश मीडिया इसे ब्रिटेन के लिए ‘अपमानजनक झटके’ के रुप में पेश कर रहा है।

बता दें कि दलवीर भंडारी के इस जीत के पीछे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बड़ा हाथ है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जस्टिस दलवीर भंडारी को आईसीजे में पहुंचाने के लिए अपनी कूटनीति का जबरदस्त इस्तेमाल किया, जिसके चलते यूके ने अपने प्रतिनिधि क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को वापस लेने का फैसला लिया। भारतीय प्रतिनिधि को आईसीजे में पहुंचाने के लिए भारत की ओर से एकजुट होकर तमाम संबंधित विभागों व अधिकारियों ने काम किया। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत सेक्युरिटी काउंसिल के पांच बड़े देशों के सामने अपनी दावेदारी को मजबूत तरीके से ना सिर्फ पेश किया बल्कि इसमे सफलता हासिल की।

वहीं ब्रिटिश मीडिया इसे ब्रिटेन की अपमानजनक हार बता रहा है। गार्डियन की एक रिपोर्ट में निराशा साफ़ जाहिर है , अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 71 साल के इतिहास में पहली बार उसकी पीठ में ब्रिटेन का कोई न्यायाधीश नहीं होगा। रिपोर्ट में लिखा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में बढ़ते विरोध के सामने झुक जाने का फैसला ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए अपमानजनक झटका है।

न्यूयॉर्क स्थित यूएन (यूनाइटेड नेशन) हेड क्वार्टर में हुए वोटिंग के दौरान दलवीर भंडारी को 193 सदस्यीय महासभा में 183 वोट मिला और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में 15 वोट हासिल किए। हेग स्थित आईसीजे में अब तक मुश्किल दिख रहा जज के लिए होने वाला ये चुनाव ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के नाम वापस लेने के बाद दलवीर भंडारी की लिए आसान हो गया था ।

मंगलवार को उन्होंने विदेश मंत्रालयों के विदेश सचिवों और अन्य अधिकारियों को बुलाकर समर्थन के लिए उनका धन्यवाद दिया। यही नहीं विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर भी भारत की सीट पक्की करने के लिए जुटे हुए थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘भारत के कूटनीतिक इतिहास का यह बड़ा दिन था। इस दिन भारत को लेकर दुनिया की धारणा बदली।’

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