लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दलों ने अपना चुनावी अभियान तेज कर दिया है। वहीं इन दलों के चुनावी मैनेजमेंट भी सक्रिय होने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी मैनेजमेंट टीम लोकसभा इलेक्शन में पार्टी के पक्ष में हवा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसके बावजूद राहुल गांधी के चुनावी मैनेंजमेंट से कांग्रेस में व्यापक असंतोष है

राहुल गांधी के मजबूत अभियान से कांग्रेस खुद को ऊर्जावान महसूस कर रही है। मगर कांग्रेस में अधिकांश नेताओं का मानना ​​है कि वह लोकसभा चुनाव जैसी बड़ी लडाई का नेतृत्व करने के लिए बेहतर लोगों का चयन कर सकते थे। रिपोर्ट के मुताबिक 42 सदस्यों वाली तीन समितियों में से 11 ने कभी कोई चुनाव ही नहीं लड़ा है। इसके अलावा समिति में कम से कम आठ सदस्य ऐसे हैं जो एक बार सांसद या विधायक चुने गए।

सूत्रों का मानना ​​है कि स्वतंत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव का प्रबंधन करने के लिए गठित तीन समितियों में कम से कम 20 सदस्यों की कोई जरुरत नहीं है। ये लोग इसके लिए कुछ ‘सलाहकारों’ को दोषी ठहराते हैं जिन्होंने योग्यता और अनुभव पर जोर देने के बजाय अपने वफादारों या खेमे के लोगों को टीम में शामिल करने का विकल्प चुना।

रिपोर्ट में बताया कि इन नेताओं को जयराम रमेश जैसे नेताओं के होने पर तो कोई आपत्ति नहीं हैं। हालांकि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा मगर वह तीन बार राज्य सभा से सांसद रहे हैं, लेकिन कुछ दूसरों लोगों को समिति में शामिल किए जाने से नेताओं का एक बड़ा वर्ग खासा नाराज है।

रिपोर्ट के मुताबिक जब कांग्रेस के एक दिग्गज लोकसभा अध्यक्ष ने समिति से एक सदस्य से चुनावी तैयारी के बारे में पूछा तो उन्हें उसका जवाब बहुत अटपटा लगा। कांग्रेस नेता के मुताबिक समिति सदस्य ने कहा, ‘मुझे इसमें रुचि नहीं है। मैं दोबारा चुनाव जीत भी गया तो भी ताकत तो राहुल गांधी के राज्य सभा नेताओं के हाथ में होगी।’

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