चारा घोटाला मामले में दोषी लालू प्रसाद यादव को रांची जेल में एक साधारण कैदी की तरह रहना पड़ रहा है। वैसे तो राजनैतिक कैदियों को सामान्य तौर पर कुछ सुविधाएं दी जाती है लेकिन जेल प्रशासन की यह उदारता चारा घोटाले के मामले में साढ़े तीन साल की सजा काट रहे लालू यादव के साथ देखने को नहीं मिल रही है।  इसकी शिकायत लालू यादव ने स्वंय सीबीआई के स्पेशल जज से की है।

लालू ने जज से साधारण कैदी की तरह व्यवहार किए जाने पर भी शिकायत की जिस पर जज ने जवाब देते हुए कहा कि नियम सभी के लिए एक है। लालू यहीं नहीं रुके उन्होंने जज से दुमका खजाना मामले में जल्द से जल्द अपना फैसला सुनाने की गुजारिश करते हुए कहा, ”सर, मुझे प्लीज ढाई साल की सजा इस मामले में दीजिएगा’ जिस पर जज ने सख्ती से कहा कि आप इस तरह न बोलें। इस तरह की बातें यहां नहीं होनी चाहिए।

आपको बता दें कि बुधवार को लालू यादव स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दुमका खजाना मामले में सुनवाई के लिए पेश हुए । इस दौरान उनके चेहरे पर साढ़े तीन साल की सजा होने के बाद भी किसी तरह की शिकन नहीं दिखाई दी। इसके उलट वह सुनवाई से पहले जज शिवपाल सिंह के साथ हल्की फुल्की बातचीत करते दिखे। जज शिवपाल सिंह ने ही लालू को 89.27 लाख रुपये के चारा घोटाले में 6 जनवरी को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी और साथ ही उन पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया था।

कोर्टरूम में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का भी कहना था कि दोनों की बातचीत के दौरान सभी के चेहरे में मुस्कान थी। जब जज शिवपाल ने लालू से उन्हें जेल में होने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा तो लालू ने अपने अंदाज में शिकायत की कि जेल प्रशासन उन्हें पार्टी कार्यकर्ता और अन्य लोगों से मिलने की इजाजत नहीं देते। इस पर जज ने कहा कि आंगतुकों को जेल के नियमों का पालन करने पर ही आपसे मिलने दिया जाएगा, इसलिए मैंने आपके लिए खुली जेल की सिफारिश की थी।

लालू ने इस पर तुरंत जवाब दिया, ‘अगर कार्यकर्ताओं को खुली जेल में रोका जाएगा तो वहां नरसंहार हो सकता है। झारखंड के सभी 20 हजार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में तैनात होना पड़ेगा।’ इस पर सिंह ने कहा कि आप चिंता न करें ऐसा कुछ नहीं होगा।

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