अशोक गहलोत ने कांग्रेस को दिखाया ‘आईना‘
इसे सच कबूलना कहें या दर्पण दिखाना। पटना में कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। कांग्रेस के दिग्गज नेता और राहुल की कोर टीम के सदस्य राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आखिरकार सच कबूल कर ही लिया। उनके दिल की टीस बाहर आ गई। गुरुवार को अशोक गहलोत ने जो बड़ा बयान दिया उसे कांग्रेस नेता पचा नहीं पाए। और तो और आरजेडी भी बिफर उठी है। अशोक गहलोत ने लालू यादव की आरजेडी से गठबंधन को कांग्रेस की मजबूरी बताया जैसे ये समय की मांग हो कि, कांग्रेस को गठबंधन की नौबत आ चुकी है। गहलोत के दिल का ये गुबार कांग्रेस कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए बाहर आ गया।
‘कांग्रेस में दम नहीं अकेले सरकार बना ले‘
नीतीश के बीजेपी के साथ जाने की टीस के बीच गहलोत ये बताना नहीं भूले कि, किसी जमाने में कांग्रेस अकेले ताकतवर पार्टी थी। आज वह स्थिति नहीं है कि कांग्रेस अकेले दम पर सरकार बना ले। गहलोत ने संगठन को एक बार फिर से मजबूत करने पर जोर देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि कांग्रेस को अकेले सरकार में लाने की कोशिश होनी चाहिए।
गहलोत के बयान पर आरजेडी-कांग्रेस में रार
गहलोत के इस बयान पर आरजेडी भला कैसे चुप रहती। पार्टी नेता मृत्युंजय तिवारी ने उन्हें नसीहत दी। कहा उन्हें मालूम है कि आरजेडी के साथ कांग्रेस पुरानी सहयोगी है। जब कांग्रेस पर सवाल खड़ा हुआ है तो आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने हमेशा दिया है। उन्हें पता है कि बिहार में आरजेडी का सबसे अधिक जनाधार है। कांग्रेस को ऐसे बयान से दूर ही रहना चाहिए।
जेडीयू ने कांग्रेस को बताया ‘लाचार‘
वहीं, जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस की दुखती रग को छू दिया। कहा, कांग्रेस को एहसास हो चुका है कि उसने जिनसे गठबंधन किया है। उनका जनाधार घट रहा है। अब कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं बचा है। इसलिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
क्षेत्रीय पार्टियों के बिना सत्ता सुख मिलना मुश्किल
हालांकि धुरंधर सियासतदान अशोक गहलोत ने खुद को पॉलिटिकली करेक्ट करते हुए कहा कि, आरजेडी से हमारा गठबंधन है और हमेशा ही रहेगा। ऐसे में साफ है कि, कांग्रेस नेतृत्व भी मानने लगा है कि नीतीश कुमार का मजबूत राजनीतिक आधार है। वहीं, वर्तमान समय में देश में क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत काफी अधिक है और राष्ट्रीय पार्टियों को सत्ता का सुख क्षेत्रीय पार्टियों के बिना मिलना बहुत ही मुश्किल है।
अशोक गहलोत ने ईमानदारी से सच्चाई की स्वीकार
खैर दिग्गज अशोक गहलोत ने ईमानदारी से सच्चाई तो स्वीकार की ही है क्योंकि नेताजी लोग तो अमूमन सच कबूलने से ही भागते रहते हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन