1 जून से आईसीसी का दूसरा सबसे बड़ा टूर्नामेंट चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज इंग्लैंड में होने जा रहा है। भारत का पहला मैच 4 जून को पाकिस्तान से होना है लेकिन अभी तक चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने वाली भारतीय टीम का चयन तक नहीं हुआ है। इसका कारण बीसीसीआई और आईसीसी के बीच काफी दिनों से चलता आ रहा तनाव है। इस तनाव की वजह से बीसीसीआई ने आईसीसी को धमकी भी दे डाली थी कि अगर उसकी बात नहीं मानी गई तो आगामी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम इंग्लैंड नहीं जाएगी।

सीओए ने बीसीसीआई से पूछा सवाल

आईसीसी के साथ टकराव के रास्ते पर खड़ी बीसीसीआई को तब बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने उसे चैंपियंस ट्रॉफी के लिए जल्द से जल्द टीम की घोषणा करने के निर्देश जारी कर दिए। सीओए ने एसजीएम और टीम के सिलेक्शन को लेकर बीसीसीआई को एक मेल किया है। सीओए ने बीसीसीआई से पूछा कि राजस्व मामले को लेकर एसजीएम की मीटिंग 7 मई को होनी है, लेकिन वह टीम के चयन के लिए इतना इंतजार क्यों करे हैं?

आईसीसी की बैठक में अलग-थलग पड़ा बीसीसीआई

गौरतलब है कि इसी सिलसिले में बुधवार को दुबई में आईसीसी बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में राजस्व और प्रशासन मॉडल का विरोध कर रहा बीसीसीआई बिल्कुल अलग-थलग पड़ गया। दरअसल बीसीसीआई और आईसीसी के बीच बिग थ्री फॉर्मूले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस मुद्दे को लेकर दोनों बोर्ड के अधिकारियों के बीच कई बार बहस और बातचीत हुई पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। दरअसल, बिग थ्री’ फॉर्मूले के तहत भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को आइसीसी के राजस्व का बड़ा हिस्सा मिलता है। इसी तनाव की वजह से बीसीसीआई 1 से 18 जून तक होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से हटना चाह रहा था। यही कारण है कि बीसीसीआई ने डेड लाइन निकल जाने के बाद भी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम का चयन तक नहीं किया है।

आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर बीसीसीआई से पहले ही कह रहे थे कि बीच का रास्ता मान जाओ नहीं तो परिणाम 1-9 जैसा हो सकता है। आपको बता दें कि 1-9 का मतलब है कि क्रिकेट के 10 शीर्ष बोर्डों में से 9 बोर्ड भारतीय बोर्ड के खिलाफ एक हो जाएगें और ऐसा ही हुआ।

आपको बता दें कि आईपीएल के खत्म होने के दस दिन बाद यानी 1 जून से चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने जा रही है और इसमें भारत का पहला मैच पाकिस्तान के साथ 4 जून को है। आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से क्रिकेट सीरीज देखने को नहीं मिली है और क्रिकेट प्रेमियों को इस मैच का इंतजार था। भारत ने 2002 (संयुक्त विजेता) और 2013 में दो बार चैंपियंस ट्रॉफी जीती है।

खेल से खिलवाड़ नहीं: सीओए

सीओए ने आगे लिखा है कि भारत 1 जून से होने वाले इस टूर्नामेंट का खिताब बचाए, इसकी पूरी तैयारी होनी चाहिए। पत्र के मुताबिक, “चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के प्रतिनिधित्व को लेकर काफी नकारात्मक बातें सामने आ चुकी हैं और इन पर जितनी जल्द विराम लगाया जाए, उतना ही अच्छा होगा। खिलाड़ियों के हित सर्वोपरि हैं और इन्हें तैयारी करने तथा खिताब बचाने का पूरा अवसर मिलना चाहिए।” “हमारा ध्यान टीम को नई ऊंचाइयों के लिए तैयार करना चाहिए, जिससे कि वह अधिक से अधिक खिताब जीत सके। टीम जितने खिताब जीतेगी, बोर्ड की आय उतनी ही बढ़ेगी।”

OPPO बना भारतीय टीम का नया स्पॉन्सर

बहरहाल, अब भारत का चैंपियंस ट्रॉफी में खेलना लगभग तय ही है। बीसीसीआई ने भले ही अभी तक चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम का चयन ना किया हो लेकिन उसने भारतीय टीम के लिए नया स्पॉन्सर खोज लिया है। साथ ही टीम इंडिया के लिए नई जर्सी लॉन्च भी कर दी है। नई जर्सी पर टीम के पूर्व स्पॉन्सर ‘स्टार’ की जगह नए स्पॉन्सर ‘ओप्पो’ का नाम लिखा हुआ है। बता दें कि चाइनीज मोबाइल फोन कंपनी ‘ओप्पो’ ने 5 साल के लिए टीम इंडिया की स्पॉन्सरशिप ली है। ‘ओप्पो’ बीसीसीआई के साथ 1079 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट किया है।

टीम इंडिया की नई जर्सी को बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने लॉन्च किया। स्पॉन्सर करने वाली नई कंपनी को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, “मैं ओप्पो को बधाई देते हुए बीसीसीआई परिवार में उसका स्वागत करता हूं।”

“पेटीएम, पेप्सिको, ह्युंडई और जनलक्ष्मी फाइनेंशियल सर्विस की तरह ओप्पो का भी बोर्ड में स्वागत है। मुझे यकीन है कि ओप्पो बीसीसीआई के साथ भारतीय क्रिकेट को नई बुलंदियों तक ले जाएगा।” आपको बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य स्पॉन्सर की रेस में जियो और पेटीएम आगे चल रहे थे लेकिन आखिरकार बाजी चाइनीज मोबाइल फोन कंपनी ‘ओप्पो’ ने मारी।

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