चुनाव तानाशाही शासन से बचने की गारंटी नहीं देता है। न्यायपालिक को कार्यपालिका, विधायक और आम जनता के दबाव से हटकर काम करना चाहिए। लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए दोनों तरह की विचारधारा का फलना फूलना बेहद जरुरी है। यह लाइने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन्ना ने कहीं हैं।

बुधवार को रमन्ना ने 17वें पीडी देसाई मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं हैं। सीजेआई कहते हैं, “न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायकों के दबाव में आकर कोई फैसला नहीं करना चाहिए। हमे स्वतंत्र रुप से काम करना चाहिए न्याय करते समय आम जनता के दबाव में नहीं आना चाहिए। वे आगे कहते हैं कोरोना काल में न्यायपालिका पर अधिक दबाव बना है। ऐसे में हमे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे कानून का राज कायम रहे।”

वो कहते हैं, लोकतंत्र के स्तंभ को बचाए रखने के लिए विपक्ष- पक्ष की विचारधारा का जीवित रहना बेहद जरुरी है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी है। हर दिन होने वाली राजनीतिक चर्चाएं, आलोचना और विरोधियों की आवाज स्वस्थ लोकंतत्र का हिस्सा है। इनका सम्मान करना चाहिए।

संवाद को आगे बढ़ाते हुए रमन्ना कहते हैं, दुनिया कोरोना जैसी भयंकर महामारी का सामना कर रही है। ऐसे में हमें एक बार ठहर कर विचार करना चाहिए कि हमने लोगों के कल्याण और हित के लिए कितना काम किया है। इस दौर में कानून का कितना इस्तेमाल हुआ है। सीजेआई ने अंदेशा जताया है कि कोरोना महामारी नए संकट की शुरुआत हो सकती है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आगे कहते हैं, जनता के पास हर पांच वर्ष के बाद शासन को बदलने की ताकत होती है। लेकिन चुनाव तानाशाही सरकार से छुटकारा पाने की गारंटी नहीं देता है। जनता ने अपनी जिम्मेदारी को निभाया है। अब उनकी बारी है जिसे बुरे वक्त को बदले के लिए उस पद पर बैठाया गया है।

सोशल मीडिया पर बढ़ते दबाव को लेकर भी एन वी रमन्ना ने जिक्र किया है, कार्यपालिका के दबाव को लेकर कई बार बहस होती है, लेकिन इस बीच एक चर्चा ये भी शुरू होनी चाहिए कि सोशल मीडिया के ट्रेंड किस तरह न्यायपालिका को प्रभावित कर सकते हैं।

अपने आखिरी संवाद में रमन्ना कहते हैं, न्यायपालिका को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। चाहे वो डायरेक्ट कोशिश करें या इनडायरेक्ट, यह असंभव है। वे आगे कहते हैं जजों को पब्लिक बयान बाजी से बचना चाहिए, जो नई दुनिया में सोशल मीडिया का हिस्सा बन चुका है।

बता दें कि, कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश एनवी रमना ने 24 अप्रैल को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ली थी। न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट(एनवी) रमना भारत के नये प्रधान न्यायाधीश हैं। जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त 2022 तक पद पर रहेंगे। 

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