एक मां के लिए उसका बच्चा सबसे प्यारा होता है। मां अपने बच्चे को कभी नहीं खोना चाहती है, चाहे वो कितना भी बुरा क्यों न हो, वो हर हाल में अपने बच्चे की रक्षा करती है। उसका ख्याल रखती है लेकिन तब क्या होगा जब एक मां के सामने उसका बच्चा मौते के दरवाजे पर हो…और मां उसे बचाने की कोशिश नहीं कर रही है।

कुछ इसी तरह का वाक्या महाराष्ट्र के वांगनी से सामने आया है। यहां पर एक मां अपने बच्चे को गोद में लेकर प्लेटफॉर्म से गुजर रही थी अचानक उसके हाथ से बच्चा छूट कर रेल की पटरी पर जा गिरा। सामने से ट्रेन आ रही थी, मां बच्चे को बचाने की बजाए चीख रही थी। तभी भगवान के रूप में एक शख्स आता है और बच्चे को बचा लेता है। वैसे सुनने में तो ये एक फिल्मी कहानी लग रही है लेकिन..असल घटना है। बता दें कि, मां नेत्रहीन होती है इसलिए चीखने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी।

बच्चे को बचाने की पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। महाराष्ट्र की इस घटना को देखकर हर कोई इस बहादुर रेल कर्मचारी की तारीफ कर रहा है। करे भी क्यों नहीं क्योंकि मयूर शेलके नाम के इस शख्स ने काम ही ऐसा किया है। मयूर शेलके का वीडियो जो भी देख रहा उसको तो एक बार यकीन ही नहीं हो रहा है।

शेलके आज सबकी नजरों में हीरो हैं। शेलके ने बताया कि ड्यूटी पर थे बच्चे को देखा और दौड़ पड़े। बच्चे को ऊपर किया और जैसे तैसे चंद सेकेंड में खुद प्लेटफार्म तक आ सके। उद्यान एक्सप्रेस महाराष्ट्र के वांगनी स्टेशन से गुजर जाती है। शेलके के इस साहस भरे कार्य पर रेलवे को भी नाज है। सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि शेलके रेलवे फील्ड वर्कर हैं जिनका काम यह देखना होता है कि ट्रेन सिग्नल सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। 

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि शेलके ने जो किया है उसके लिए कोई पुरस्कार कम है। पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि शेलके पर गर्व है जो उसने यह साहस दिखाया है। अपनी जान की बाजी लगाते हुए शेलके ने यह काम किया है। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट की ओर से शेलके की बहादुरी के लिए 50 हजार का इनाम दिया है। बच्चे की मां संगीता शिरसत का कहना है कि जितना भी धन्यवाद दें वो कम है। अपनी जान की बाजी लगाकर उन्होंने मेरे बेटे की जान बचाई है।

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