देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब दिल्ली में चुनावी माहौल गरम होता जा रहा है। दिल्ली नगर निगम में एमसीडी चुनाव का बिगुल बज चुका है। दिल्ली एमसीडी चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने नई तारीख की घोषणा की है। दरअसल, पहले से तय कार्यक्रमों के अनुसार दिल्ली में एमसीडी चुनाव 22 अप्रैल को होना था लेकिन अब चुनाव आयोग ने तारीख को बढ़ाकर 23 अप्रैल को कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि 22 अप्रैल को 12वीं कक्षा के छात्रों की बोर्ड परीक्षा भी है जिसकी वजह से परीक्षा और चुनाव को संभालना काफी मुश्किल हो जाएगा। बोर्ड की परीक्षा के मद्देनजर ही एमसीडी मतदान और मतगणना की तारीख में बदलाव किया गया है। अब एमसीडी चुनाव की मतगणना 25 अप्रैल की जगह 26 अप्रैल को होगी।
चुनाव आयोग की ओर से तिथियों की घोषणा के साथ ही यह सवाल उठ रहे थे कि चुनाव आयोग ने पहले से निर्धारित सीबीएसई परीक्षा कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए चुनावी तारीख का ऐलान क्यों नहीं किया। इसके बाद अटकलें यह लगायी जा रहीं थीं कि क्या सीबीएसई परीक्षा की तारीखों में बदलाव करेगी, लेकिन सीबीएसई ने अपने परीक्षा के कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं किया। जिसके बाद चुनाव आयोग मतदान और मतदान की तारीखों में बदलाव करने का फैसला लिया। क्योंकि मतदान स्थल तो स्कूलों में बनाये जाते हैं और स्कूलों में परीक्षा होनी है, इसलिए अब दिल्ली के चुनाव आयुक्त ने घोषणा की है कि मतदान अब तय कार्यक्रम के एक दिन बाद यानी 23 अप्रैल को होंगे।
दिल्ली में इस बार का दिल्ली नगर निगम चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है क्योंकि दिल्ली की पुरानी बड़ी पार्टी कांग्रेस और भाजपा तो मैदान में है ही साथ ही पिछले चुनाव से आम आदमी पार्टी ने चुनाव को त्रिकोणनीय बना दिया था। वहीं इस बार के चुनाव में अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी योगेंद्र यादव भी स्वराज अभियान के जरिए अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करने जा रहे हैं। योगेंद्र यादव के दो मक्सद है एक तो दिल्ली की राजनीति में अपनी ताकत को आजमाना दूसरा अपने पुराने साथी अरविंद केजरीवाल से हिसाब चुक्ता करना।
भाजपा को भी इस बार के चुनाव में पूर्वांचलियों का अच्छा-खासा फायदा मिल सकता है क्योंकि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष और भोजपूरी अभिनेता मनोज तिवारी से पूर्वांचल के लोग ख़ासा प्रभावित हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के दिल्ली एमसीडी चुनाव में उतरने से मुकाबला काफी रोमांचक होने वाला है। भाजपा और जेडीयू के बीच एक बार फिर बिहार की ही तरह राजनीतिक घमासान देखने को मिल सकता है।