उत्तर प्रदेश में एक बार फिर किसानों के साथ नाइंसाफी हुई है। प्रदेश में फसल ऋणमोचन योजना के तहत लघु और सीमांत किसानों को एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जाना है। लेकिन यूपी के कई जिलों में किसानों के साथ एक भद्दा मजाक किया गया। जहां फसल ऋणमोचन के नाम पर किसानों को 10 रुपये, 38 रुपये, 221 रुपये और 4000 रुपये के कर्जमाफी का प्रमाण पत्र सौंपा गया।
उत्तर प्रदेश में जब आदित्यनाथ योगी की सरकार बनीं। तब उन्होंने यूपी के लघु और सीमांत किसानों की कर्जमाफी की बात कही थी। जिसे लेकर किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। ऐसे में योगी सरकार नें यूपी के लघु और सीमांत किसानों के उन्नयन व सतत विकास के लिए एक योजना चलाई, जिसका नाम ‘फसल ऋणमोचन योजना’ रखा गया। जिसके अंतर्गत किसानों के एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ होना था। इसके लिए सरकार ने करीब 36000 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान किया था।
ऐसे में यूपी के कुछ जिलों में सरकार ने इस योजना के पहले चरण में कर्जमाफी के प्रमाणपत्र बांटने शुरू कर दिए हैं। लेकिन इसमें जो तस्वीर उभर कर सामने आई है वह चौंकाने वाली है।
यूपी के हमीरपुर जिले में जब किसानों को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र बांटे तो कर्जमाफी की रकम देख सब दंग रह गए। बता दें, हमीरपुर की शांति देवी जिन्होंने फसल बोने के नाम पर बैंक से 1 लाख 55 हजार रुपए तक का कर्ज लिया था, लेकिन जब शांति देवी को प्रमाणपत्र मिला उसमें महज 10.36 रुपए ही कर्जमाफ था। एक दूसरे किसान यूनुस खान, जिसने 60 हजार रुपए बीज और खाद के लिए कर्ज लिया था, उसे जो कर्ज माफी का प्रमाणपत्र सौंपा गया, उसमें महज 38 रुपए की कर्ज माफी की गई है। यही हाल कई अन्य किसानों का है, जो एक लाख रुपए कर्ज माफी की आस में यहां आए थे।
इटावा जिले के भर्थना तहसील के नगला भोली गांव के गरीब किसान जिलेदार सिंह बैंक से एक लाख रुपए कर्ज लिया था। गांव के लेखपाल ने कर्ज माफी का इन्हें सर्टिफिकेट तो दिया, लेकिन सिर्फ तीन रुपए का। ऐसे किसानों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें 10, 20, 50 या 100-200 रुपए की कर्जमाफी के सर्टिफिकेट मिले हैं। किसानों को समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें और जाएं तो जाएं कहां।
हालांकि इन गड़बड़ियों की वजह स्पष्ट नहीं हो पा रही है। आखिरकार एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इन सब की जिम्मेदारी कौन लेगा योगी सरकार या जिला प्रशासन।