ऑनलाइन शॉपिंग पर मिलने वाले बंपर डिस्काउंट शायद अब ना मिले।  क्योंकि सरकार अब अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर नजर रखने की तैयारी कर रही है।  ऑनलाइन शॉपिंग को व्यवस्थित करने के लिए केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स पॉलिसी का एक ड्राफ्ट तैयार किया है।  पॉलिसी ड्राफ्ट में प्रस्ताव है कि इस तरह के डिस्काउंट को एक निश्चित तारीख के बाद रोक दिया जाना चाहिए। ऑनलाइन रिटेल सेक्टर पर निगरानी को लेकर ये पहला प्रस्ताव है. इसमें फूड डिलिवरी साइट्स को भी शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।

ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक डेटा को भारत में ही रखने की आवश्यकता होगी, उसमें इंटरनेट आफ थिंग्स की ओर से जुटाए गए सामुदायिक आंकड़े, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, सोशल मीडिया, सर्च इंजन समेत तमाम सोर्स से यूजर्स की ओर से जुटाया गया डेटा शामिल होगा।   पॉलिसी में ये भी प्रस्ताव किया गया है कि सरकार की नेशनल सिक्योरिटी और पब्लिक पॉलिसी मकसद से भारत में रखे आंकड़ों तक पहुंच होगी। . दिल्ली हाई कोर्ट ने भी एक जनहित याचिका पर केंद्र और ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट से जवाब मांगा है।  याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये दोनों बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों का उल्लंघन कर रही हैं। .

भारत में ई-कॉमर्स का बाजार 1 लाख 71 हजार करोड़ रुपये है, अगले दशक में इसके 13 लाख 72 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है..  इसी के चलते कई विदेशी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं..  अब सरकार ई-कॉमर्स सेक्टर में ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा और शिकायतों के निपटारे, एफडीआई, डेटा स्टोरेज और छोटे उद्योगों के विलय के मुद्दों पर नियम बनाना चाहती है। साथ ही एक रेग्यूलेटर की नियुक्ति भी होगी।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here