राष्ट्रपति चुनाव के लिए जहां एक तरफ विपक्ष एकजुट होने की लगातार कोशिशें कर रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रीय दल उसकी उम्मीदों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं। जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है जिससे बीजेपी के उम्मीदवार के राष्ट्रपति बनने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस, लेफ्ट सहित तमाम विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति चुनावों के लिए एकजुट हो रही थी और एआईएडीएमके, बीजेडी सहित वाईएसआर कांग्रेस पर भी सबकी नजरें टिकी हुई थीं कि राष्ट्रपति चुनाव में वे किस तरफ रुख करेंगे।

रेड्डी ने मंगलवार को पीएम मोदी से मुलाकात के बाद बीजेपी उम्मीदवार को अपना समर्थन देने की घोषणा की। इससे पहले, टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्रीय समिति) भी यह संकेत दे चुकी है कि राष्ट्रपति चुनाव में वह बीजेपी को अपना समर्थन दे सकती है। ऐसे में रेड्डी की मदद से बीजेपी उम्मीदवार का राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है, जो बहुमत से थोड़ी ही दूर है।

इसके साथ ही बीजेपी कई अन्य क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने में सफल हो सकती है। उदाहरण के लिए, एआईएडीएमके ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है लेकिन बीजेपी आश्वस्त है कि वह उसका समर्थन पाने में कामयाब होगी। जबकि बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी संपर्क कर चुके हैं, इसके बावजूद बीजेडी ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

वहीं विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार माने जा रहे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी माना कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्तापक्ष के पास पर्याप्त वोट हैं। इस चुनाव में कुछ चमत्कार नहीं होने जा रहा। उनका मनना है कि राष्ट्रपति चुनाव तक बीजेपी शिवसेना का साथ नहीं छोड़ेगी, क्योंकि बीजेपी को शिवसेना के वोटों की जरूरत है। वे आपस में झगड़ेंगे लेकिन अलग नहीं होंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत से बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में अपनी संख्या पहले ही बढ़ा चुकी है। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में लोकसभा-राज्यसभा के साथ-साथ विधानसभाओं के सदस्य भी होते हैं। यूपी-उत्तराखंड को मिलाकर फिलहाल देश के 12 बड़े राज्यों में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत की सरकार है।

वहीं चुनावों में बीजेपी के हाथों लगातार होती हार से मजबूर पुराना और कद्दावर वाममोर्चा क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कवायद में अब भी लगा हुआ है। जिसकी झलक बुधवार शाम को आयोजित समाजवादी नेता स्वर्गीय मधु लिमये की 95वीं जयंती पर देखने को मिली जहाँ पर सभी नेताओं ने एक सुर से  विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर जोर दिया।

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