2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति बना ली है। बीजेपी ने सामाजिक जनाधार बढ़ाने के लिए विपक्ष से आए नेताओं से उनकी पार्टियों में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है। बीजेपी सामाजिक जनाधार को बढ़ाने में सपा, बसपा आदि दलों से आए नेताओं की अहम भूमिका रहेगी। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यह नेता प्रभावी भूमिका में रहेगे, जहां पिछड़ा व दलित समीकरण काफी महत्वपूर्ण हैं। बीजेपी इन नेताओं के जरिए विपक्षी खेमे में और सेंध लगाएगी। बीजेपी का मुख्य चुनावी मुद्दा तो विकास और सुशासन रहेगा, लेकिन वह राज्यों की जातीय व सामाजिक समीकरणों को भी पूरी तरह साध कर रखेगी।

सूत्रों के अनुसार देश में बड़ी संख्या वाले पिछड़ा व दलित समुदाय की विपक्षी रणनीति की काट के लिए बेजीपी पूरी ताकत से उतरेगी। पिछड़ा वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो उसके चेहरा हैं ही, साथ ही हर ससंदीय क्षेत्र के समीकरणों के लिए उसके पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति मोर्चा कमान संभालेगे। दोनों मोर्चा राज्य व जिला स्तर पर अपनी समितियों के जरिए संपर्क कर रहे हैं और केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पिछली बार 71 सीटें जीती थीं। इस बार उसने 75 का लक्ष्य रखा है। हालांकि विपक्षी खेमे के सपा, बसपा, कांग्रेस व रालोद के गठबंधन की अटकलों के बीच इस बार चुनौती कड़ी होगी। पार्टी में सपा व बसपा से आए नेताओं ने खुद ही आगे बढ़कर मोर्चा संभालने की बात कही है। इनमें कई नेता सांसद व विधायक होने के साथ राज्य व केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। इनका अपनी व्यक्तिगत जनाधार भी है और वे अपने समुदाय को प्रभावित करने की क्षमता भी रखते हैं। जिन दलों से यह नेता आए हैं, उनमें भी यह सेंध लगाने की कोशिश करेंगे।

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