बिहार चुनाव का शंखनाद हो चुका है। 71 सीटों पर प्रचार – प्रसार खत्म हुआ, आज पहले चरण की वोटिंग चल रही है। नेताओं द्वारा बताए गए मुद्दों को लेकर जनता अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए पोलिंग बूथ पर पहुंच चुकी है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इसबार अहम मुद्दा बेरोजगारी है। पर उन सब से हटकर मजदूरों की बदहाली है। लॉकडाउन के समय भारत ने सबसे बड़ा पलायन देखा। इसमें बिहार और उत्तरप्रदेश के मजदूर शामिल थे।

कहते हैं चुनाव के समय जनता सब भूल जाती है। वो अपने दर्द को नहीं अपने पसंदीदा पार्टी को याद  रखती है। पर जनता की याददाश्त को ताजा करने के लिए सोनू सूद ट्विटर पर प्रकट हो गए हैं।

ये वही सोनू सूद हैं जिसने हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया। कई प्रवासी मजदूर इन्हें भगवान मानने लगे हैं। बिहार के प्रवासी मजदूरों के लिए ये मसीहा बन चुके हैं। ये लोग सोनू की बात पर अमल करते हैं इसलिए सोनू सूद ने ट्वीट कर के लिखा, “जिस दिन हमारे बिहारी भाइयों को घर छोड़ कर दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ेगा। जिस दिन दूसरे राज्य के लोग बिहार में काम ढूँढने आएँगे। उस दिन देश की जीत होगी।”  

चुनाव का रंग है इस मौके पर सोनू सूद जनता को बिहार का असली मुद्दा बता रहे हैं। सोनू सूद ने अपने ट्विटर हैंडल का बैकग्राउंड फोटो भी “पैदल घर मत जाना” इस तरह से रखा हुआ है।

वैसे इस समय सोनू सूद एक अलग ही विवाद में घिरे हुए हैं। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने एक्टर की मदद को पीआर स्टंट बता दिया था।ट्वीट कर यूजर ने कहा था- नया ट्विटर अकाउंट, सिर्फ 2-3 फॉलोअर्स। सोनू सूद को टैग भी नहीं किया गया है. किसी ने अपनी जगह भी शेयर नहीं की है। कोई ईमेल भी नहीं दिख रहा है। लेकिन फिर भी सोनू को उस जरूरतमंद के बारे में पता चलता है और वहां मदद पहुंच जाती है। शायद पीआर टीम ऐसे ही काम किया करती है। अब सोनू ने तो यूजर को मुंहतोड़ जवाब दे दिया, लेकिन उनके काम पर यूं सवाल उठना दूसरे लोगों के मन में जरूर कई सवाल पैदा कर गया।

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