बिहार की राजनीति में उथल-पुथल जारी है। पहले गठबंधन टूटी, फिर जेडीयू उसके बाद कांग्रेस। अब खबर है कि आखिरकार अशोक चौधरी पर गाज गिर ही गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अशोक चौधरी को तत्काल प्रभाव के साथ प्रदेश बिहार कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया है। उन पर पार्टी में फूट डालने के आरोप लग रहे थे, जिसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने मंगलवार को ये फैसला लिया।

वहीं अब बिहार कांग्रेस के कार्यवाहक प्रदेश अध्य्क्ष कौकब कादरी बुधवार को बीपीसीसी मुख्यालय सदाकत आश्रम जाकर कार्यभार ग्रहण करेंगे। कौकब कादरी ने इस अवसर पर कहा कि कांग्रेस राज्य में राजद के साथ अपना गठबंधन बनाए रखेगी। उन्होंने कहा कि जो जिम्मेदारी मिली है उसे जरूर निभाऐंगे। पार्टी ने मुझे इस योग्य समझा इसके लिए सभी का आभार ज्ञापित करता हूँ। पार्टी में विधायकों, विधान पार्षदों, वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाकर रखा जाएगा और इसे और मजबूत किया जाएगा।

बता दें कि इस्तीफे के बाद अशोक चौधरी के दूसरी पार्टी में जाने का रास्ता खुल जाएगा। सूत्रों की मानें तो जेडीयू में चौधरी को दलित नेता के तौर पर सेकेंड लाइन की लीडरशिप में जगह मिल सकती है। चौधरी की सीएम नीतीश कुमार से करीबी जग जाहिर है। हिंदी-अंग्रेजी पर पकड़ रखने वाले अशोक चौधरी अच्छे वक्ता भी रहे हैं वहीं जेडीयू भी कांग्रेस को तोड़ने के आरोप से बच जाएगी।

कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने बताया, ‘कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से तुरंत प्रभाव से हटा दिया है’। कांग्रेस पार्टी की ओर से यह कदम इन खबरों के बीच आया है पार्टी की राज्य इकाई में दो फाड़ हो सकते हैं जिसमें से एक धड़े की अगुवाई चौधरी कर सकते हैं।

हालांकि खबरों की मानें तो कांग्रेस के 27 विधायकों में से 18 विधायक पार्टी छोड़कर जेडीयू में शामिल होने के लिए तैयार बैठे हैं। विधायक दल में किसी भी टूट के लिए कम से कम 18 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है लेकिन, टूट वाले गुट में इसकी संख्या पूरी नहीं हो पा रही है। इस कारण अब तक यह मामला अटका पड़ा है, अब पद से हटाये जाने के बाद सबकी नजर अशोक चौधरी के अगले कदम पर टिकी है।

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