मंगलवार की शाम वाराणसी में हुए दर्दनाक हादसे के बाद यूपी सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में पुल निर्माण के कार्य में अधिकारियों की बड़े पैमाने पर लापरवाही की बात सामने आई हैं। घटना के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा गठित की गई जांच कमिटी ने रिपोर्ट में राज्य सेतु निगम के निवर्तमान प्रबंध निदेशक राजन मित्तल समेत सात अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने को कहा हैं। रिपोर्ट में हादसे के लिए उन निरीक्षकों को भी जिम्मेदार माना है जिन्होंने पिछले दो-तीन महीने के दौरान पुल निर्माण के कार्य का निरीक्षण किया था। साथ हीं साथ जांच समिति जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल के निर्माण के चलते ट्रैफिक अव्यवस्थित हो गया था। प्रशासन को बेरीकेडिंग आदि लगाकर सुरक्षा के उपाय करने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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इस मामले में गुरुवार को उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। जांच कमेटी के द्वारा की गई अनुशंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेतु निगम के प्रबंध निदेशक समेत सात अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में पुल के डिजाइन पर सवाल खड़े किए गए हैं वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि पुल निर्माण डिजाइन की ड्राइंग को सक्षम अधिकारी से अनुमोदन नहीं कराया गया था। पुल के निर्माण का काम अक्टूबर 2015 से शुरू हुआ था, जिसके पूरा होने की समय सीमा अक्टूबर 2018 तय की गई थी। लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के पहले हुई इस बड़ी घटना से अधिकारियों ठेकेदारों और प्रशासन की मिलीभगत और लापरवाही का मामला सामने आ रहा  हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दर्दनाक हादसे के बाद सरकार तत्काल एक्शन में दिखाई दी थी। घटना के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल सहित 4 अन्य अधिकारियों को निलंबित किया था।

खबरों में यह भी बताया जा रहा हैं कि पूर्व में पुल निर्माण से जुड़े अधिकारी ने बड़ी घटना घटने का अंदेशा भी जताया था। बताते चले कि वाराणसी में मंगलवार की शाम एक निर्माणाधीन फ्लाई ओवर के दो बीम गिर गए थे जिसके कारण 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।

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