माओवादियों से संपर्क रखने के आरोपी तेलुगु कवि वरवर राव को पुणे पुलिस ने एलगार परिषद सम्मेलन के मामले में हैदराबाद से शनिवार को हिरासत में ले लिया। राव अब तक हैदराबाद के अपने घर में नजरबंद थे। पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त शिवाजी बोडखे ने कहा कि हैदराबाद उच्च न्यायाल द्वारा उनकी नज़रबंदी की बढ़ाई गयी मियाद 15 नवंबर को समाप्त हो गई। पुणे पुलिस ने 26 अक्टूबर को सह-आरोपी अरुण फरेरा और वर्नान गोनसालविस को हिरासत में लिया था, जबकि सुधा भारद्वाज को अगले दिन हिरासत में लिया गया था।

पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कथित माओवादियों से संबधों की वजह से इन्हें गिरफ्तार किया गया था। पुणे पुलिस ने इन तीनों को कवि पी वरवरा राव और गौतम नवलाखा के साथ 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन से कथित संबंध के मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद  रहे वरवर राव के हाउस अरेस्ट की अवधि 25 अक्टूबर को तीन हफ्ते के लिए बढ़ा दी थी।

प्रसिद्ध कवि, लेखक और कार्यकर्ता वरवर राव, जो उनके क्रांतिकारी लेखन और सार्वजनिक भाषणों के लिए प्रसिद्ध हैं, को अगस्त में पहली बार इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें तेलुगू साहित्य के एक प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक भी माना जाता है और उन्होंने दशकों तक स्नातक और स्नातक छात्रों को यह विषय पढ़ाया है। वरवर राव पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप कई बार लग चुके हैं।  पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हिंसा के लिए यलगार परिषद पर भी आरोप लगाया गया था। भीमा-कोरेगांव में जनवरी हुई हिंसा में पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद चौंकानेवाला खुलासा हुआ था।

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