2019 लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है। हिंदूवादी संगठन और नेता मोदी सरकार से राम मंदिर पर कानून लाए जाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल मामला कोर्ट में है और सरकार का कहना है कि मंदिर संवैधानिक दायरे में रहकर ही बनेगा। रामदेव ने कहा कि मोदी सरकार को राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में करने के लिए संसद में प्रस्ताव लाना चाहिए। तब इस प्रस्ताव का कोई भी दल विरोध नहीं कर पाएगा। साथ ही उन्होंने राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाए जाने की मांग की।

रामदेव ने अब तक राम मंदिर पर सुलह का रास्ता नहीं निकलने के लिए केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बाबरी मस्जिद पर पत्ते नहीं खोले योग गुरु बाबा रामदेव ने चुनाव नजदीक आने पर राम मंदिर का मुद्दा उठाए जाने को लेकर कहा कि राम मंदिर की बात पांच सौ साल की है। पांच साल की बात नहीं है। इसे राजनीति या जमीन जायदाद से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। पूरी धरती राम की है। हमने मंदिर-मस्जिद के नाम पर नफरत नहीं फैलाई है। यह पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है। क्या कोई संस्कृति की बात करना छोड़ दें?

पतंजलि योगपीठ के संस्थापक रामदेव ने कहा कि राम मंदिर पर सुलह का रास्ता निकालने में राज्य और केंद्र सरकार नाकामयाब रही है। कोर्ट से इस मामले में निर्णय नहीं निकलेगा। कोर्ट से कुछ होगा, इसकी संभावना नहीं है। बहुत पेचीदा मामला है। राम के मामले में कोर्ट क्या करेगा? हमारे पूर्वजों पर फैसला कोर्ट करेगा क्या? अंसारी और अखाड़े वालों को प्रस्ताव देना चाहिए। एक सीताराम ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए। जमीन ट्रस्ट के नाम पर किया जाना चाहिए। सड़क, एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण किया जा सकता है तो मंदिर के लिए क्यों नहीं किया जा सकता। करोड़ों हिंदू मंदिर के लिए दान देंगे। हम भी दान देंगे। राम हमारे गौरव हैं। इसे संप्रदाय से नहीं जोड़ना चाहिए।

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