बीजेपी भले ही हर चुनाव में जीत हासिल कर रही हो लेकिन सच ये भी है कि उपचुनावों में बीजेपी को मुंह की खानी प़ड़ी है। बीजेपी को राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के उपचुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। उपचुनावों में मिली हार के बाद बीजेपी आने वाले चुनावों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बीजेपी का पूरा ध्यान कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव पर है। कर्नाटक में 12 मई से चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक के दौरे पर थे इस दौरे के बाद अमित शाह ने रविवार को बीजेपी शासित तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पार्टी दफ्तर में अहम बैठक की।

इसी के साथ शाह ने राम माधव समेत कई बीजेपी महासचिवों से वन टू वन मुलाकात भी की। इस बैठक का मुख्य एजेंडा 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर विमर्श करना था। इस बैठक में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बुलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान की सीएम राजे से चुनावी क्षेत्रों के आधार पर बातचीत की गई। राजस्थान उपचुनाव के नतीजों से बीजेपी काफी चिंतित है।

राजस्थान में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एक सिरे से हटा देने वाली बीजेपी को राजस्थान उपचुनावों में खुद मुंह की खानी पड़ी थी। यहां कमजोर और बंटी हुई मानी जा रही कांग्रेस ने उपचुनाव की तीनों सीटों पर जीत दर्ज की। ये तीनों सीटें पहले बीजेपी की थीं। अलवर और अजमेर लोकसभा सीटों पर 2014 के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 61 और 56 फीसदी से घटकर क्रमशः 40 और 44 फीसदी रह गया। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर तो बीजेपी का वोट शेयर 2013 के 52 फीसदी से गिरकर 32 फीसदी पर आ गया है।

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