विवादित बयान देने की कला नेताओं से बेहतर कोई नहीं जानता…ठीक वैसे ही जैसे बयानों से पलटना…यहां दल बदलते ही दिल भी बदल जाते हैं…शायद, इसलिए ही कहते हैं कि, सियासत में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता…लेकिन, राजनीति और इसके अदाकारों की जुबान जब देश के गंभीर मसलों पर भी कुठाराघात करती है तो बादल की तरह त्याग करने वालों के दिल का भी फटना स्वाभाविक है…जेठ की दुपहरी, पूस की हाड़ जमा देने वाली सर्दी में भी देश के अन्नदाता हमारे लिए अनाज का उत्पादन करते हैं…लेकिन, कृषि प्रधान देश में देश के किसानों से बदतर स्थिति शायद किसी की नहीं…एक तरफ मौसम की मार, दूसरी ओर बैंकों के नोटिस और तीसरे सूदखोरों के शिकंजे में पड़कर देश के अन्नदाता उसी जमीन में खुद को मिटाने को बेबस हैं जिस पर वो कभी सोना उगाते रहे…उन्हीं अन्नदाताओं पर मोदी सरकार के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने पटना में देश में किसानों की खुदकुशी को लेकर बेतुका बयान दिया…कहा कि मीडिया में आने के लिए कुछ किसान तरह-तरह के उपक्रम कर रहे हैं…देश में करोड़ों की संख्या में किसान हैं और उसमें कुछ किसानों का ये प्रदर्शन मायने नहीं रखता…

इसके पहले भी केद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह किसानों पर विवादित बयान दे चुके हैं…जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में ज्यादातर किसानों की मौत प्रेम-प्रसंग, दहेज और नपुंसकता के चलते हो रही है…वहीं मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड के एक साल पूरे होने पर किसान संगठनों द्वारा गांव बंद के ऐलान को बे-मतलब करार दिया…विभिन्न मांगों को लेकर मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों के किसान एक जून से 10 जून तक गांव बंद के एलान के तहत विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं…पटना में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के हित में सबसे ज्यादा काम मध्यप्रदेश में ही किया जा रहा है…कृषि मंत्री ये तक कहने से नहीं चूके कि, देश में करोड़ों की संख्या में किसान हैं….विरोध तो कुछ ही किसान कर रहे हैं…वहीं किसान आंदोलन को सीएम खट्टर ने बिना विषय का आंदोलन बताते हुए खांमखां की बात बताया…कहा, हड़ताल में दूधऔर सब्जी नहीं बेचेंगे तो इसमें नुकसान दूसरे का तो होगा नहीं…

वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन पर मोदी सरकार को घेरा…हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि किसानों के साथ धोखा हो रहा है…स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए…

पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमत और किसानों को हो रही असुविधा को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर है…लेकिन, कृषि मंत्री किसानों को लेकर कितने गंभीर दिखते हैं ये उनके बेतुके बयानों से साफ है…खैर ये वही राधा मोहन सिंह हैं जो पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान की खुलेआम धज्जियां उड़ा चुके हैं…उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी…जिसमें वह पूरे लाव-लश्कर के साथ सफाई अभियान को मुंह चिढ़ाते दिखे थे…कहने को भारत कृषि प्रधान देश है…मोदी सरकार 2022 तक किसानों की कमाई को दोगुना करने के दावे करती है…आए दिन चुनाव के समय में किसानों को लॉलीपॉप दिया जाता रहा है…कभी ऋण माफी के नाम पर कभी फसल बीमा के नाम पर…लेकिन अन्नदाताओं का सत्य यही है कि, किसान गरीबी में जीने और असमय मजदूर बनकर मरने को विवश है…

 एपीएन ब्यूरो

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  1. आत्महत्या को अपराध की तरह देखना पीड़ित परिवार के घावों पर नमक छिड़कने के समान है.

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