सरकार अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा ससंदीय समिति की सिफारिश के बाद किया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी कहा था कि उन्होंने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की सिफारिश की है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष और हाई कोर्ट के जज 62 वर्ष की आयु पूरी करने पर रिटायर होते हैं।

सरकारी सूत्र के मुताबिक सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज की रिटायरमेंट उम्र 65 से बढा कर 67 साल और हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र 62 से बढ़ा कर 64 वर्ष करने पर विचार कर रही है। इसके लिए मानसून सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। ऐसा कार्मिक, लोक शिकायत और कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिश के बाद किया जा रहा है।

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के बढ़ते अंबार और हर कुछ महीनों पर जजों के रिटायरमेंट की वजह से लगातार बनी रहने वाली कमी से निपटने का एक फौरी उपाय यही है कि जजों की रिटायरमेंट उम्र ही बढ़ा दी जाए। यूं भी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के एक जज की नियुक्ति में कम से कम तीन से चार महीने का समय लग जाता है।

सुप्रीम कोर्ट में जजों के 31 पद हैं जिसमें से नौ पद खाली हैं। इस साल दिसंबर तक तीन और जज रिटायर हो जाएंगे। 24 हाई कोर्ट में जजों के कुल 1079 पद हैं। इनमें से एक जुलाई 2018 तक 411 यानी करीब 40 फीसदी पद खाली थे। केंद्र ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए इसी हफ्ते कॉलेजियम को 69 नाम भेजे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए कॉलेजियम चार जजों के नाम भेजने की तैयारी में है।

जजों की कमी की वजह से देश की अदालतों में मुकदमों का अंबार भी बढता जा रहा है। निचली और उच्च अदालतों को मिलाकर करीब तीन करोड़ मुकदमें लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट में करीब 62 हजार मामले लंबित हैं तो 24 हाई कोर्ट में करीब 43 लाख मामले लंबित हैं। इनमे से से 10 लाख मामले 10 साल से ज्यादा पुराने हैं। बाकी करीब ढाई करोड़ मुकदमें निचली अदालतों में हैं। इस साल बजट से पहले पेश किये गये आर्थिक सर्वे में भी लंबित मामलों पर चिंता जताई गयी और कहा गया कि स्टे, मुकदमों की बढ़ती लागत, और करों पर होने वाले विवादों का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

अगर दूसरे देशों की व्यवस्था पर नजर डालें तो अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की कोई उम्र सीमा नहीं है। और कोई जज जब तक चाहे तब तक जज बना रह सकता है। यूनाइटेड किंगडम में जजों की रिटायरमेंट उम्र 75 साल है जबकि रूस में जज 70 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं।

इससे पहले वेंकटचेलैया कमेटी ने 2001 में जजों की उम्र बढ़ाने की सलाह दी थी। यूपीए सरकार ने भी 2010 में हाई कोर्ट के जजों की उम्र बढ़ाने के लिए 114वां संविधान संसोधन विधेयक पेश किया था लेकिन ये विधेयक पारित नहीं हो सका। संविधान में सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र शुरू से ही 65 वर्ष थी लेकिन हाई कोर्ट जजों की रिटायरमेंट उम्र 60 साल थी। 1962 में संविधान संशोधन के जरिए हाई कोर्ट के जजों की उम्र 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की गयी  थी।

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