नामी कंपनी ‘नेस्ले’ एक बार फिर विवादों में फंस गई है। ‘जन विश्लेषक’ प्रयोगशाला में मैगी ब्रांड के कई उत्पाद के नमूनों की जांच कराई गई थी, जिसमे एक बार फिर मैगी के सैंपल फेल हो गए हैं। राजकीय जन विश्लेषक का दावा है कि मैगी में एश कंटेट (धातु भस्म) की मात्रा निर्धारित मानक से कई गुना अधिक पाई गई हैं। जिसके चलते बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले पर 35 लाख का जुर्माना लगा दिया गया है।

कैसे हुई थी बुरे दिनों की शुरुआत-

साल 2015 में मई के अंत में उत्तर प्रदेश में मैगी के सैंपल लिए गए थे। लेकिन मैगी ‘खाद्य सुरक्षा विभाग’ के नियमों को पास नहीं कर पाई थी। सैंपल में निर्धारित मात्रा से अधिक सीसा पाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में मैगी पर पाबंदी लगा दी गई थी और यही से मैगी के बुरे दिनों की शुरुआत हो गई थी। उत्तर प्रदेश में मेगी के बैन होने के बाद अन्य राज्यों में भी मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। 5 जून को देश भर में मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

‘नो एडेड एमएसजी’ लेबल लगाकर किया गुमराह-

मैगी की निर्माता कंपनी नेस्‍ले पर ‘नो एडेड एमएसजी’ का लेबल लगाने का आरोप भी लगा था। MSG का मतलब ‘Monosodium glutamate’ होता है। Monosodium glutamate’ का इस्तेमाल आमतौर पर चीनी भोजन(Chinese food), डिब्बाबंद सब्जियों, सूप और संसाधित मांस(processed meats) का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।

नेस्ले पर लोगों की भावनाओं और धर्म भ्रष्ट करने का आरोप लगाते हुए मैगी को बैन कर दिया गया था। इसके बाद हजारों मैगी लवर्स का दिल टूट गया था, लेकिन सभी को इस बात की खुशी भी थी कि वह एक गलत खाद्य पदार्थ के सेवन से बच गए। क्योंकि मैगी का सेवन करना लोगों की जिंदगी के लिए घातक साबित हो सकता था।
नेस्ले पर लगा लाखों का जुर्माना-

इस वर्ष 2017 में ‘राजकीय जन विश्लेषक’ द्वारा नेस्ले कंपनी की पंजाब के मोगा शहर और उत्तराखंड में पंतनगर स्थित फैक्ट्रियों में जांच की गई थी। सैंपल फेल होने पर मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने इस मामले में कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था। जिसके बाद सोमवार को न्याय निर्णायक अधिकारी एडीएम जितेंद्र कुमार शर्मा ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 51 के तहत नेस्ले कंपनी को 35 लाख रुपये देने की सजा सुनाई। कंपनी के पंजाब और उत्तराखंड में स्थित निर्माण इकाई के संचालकों को पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना देने की सजा सुनाई है। इसके अलावा विक्रेताओं और वितरकों पर भी एडीएम शर्मा ने 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
बता दे कि साल 2015 में भी मैगी के प्रतिबंध से कंपनी को अनुमानित 320 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा था। लेकिन इस सब के बाद भी कंपनी निर्माताओं ने वही गलती फिर दोहराई हैं। लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं हैं।

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