राज्य और केंद्र की सरकारें एक के बाद एक सामाजिक ऊठापटक में फंसती जा रही है। पहले राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग पर मोदी सरकार घिर गई थी और अभी तक ये मामला शांत नहीं हुआ है। अब कर्नाटक की राजनीति में भी ठीक चुनाव से पहले धर्मों को भी विशेषता देने की मांग उठ रही है। दरअसल, लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश पर मंजूरी देने के बाद अब कर्नाटक सरकार के सामने एक और समुदाय ने अपनी मांग रखी है। राज्य के कोडवा समुदाय ने अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की मांग की है। कोडवा समुदाय को कूर्ग भी कहा जाता है।  बुधवार को समुदाय की तरफ से राज्य सरकार के अल्पसंख्यक विभाग को एमएम बंसी और विजय मुथप्पा ने ज्ञापन सौंपा है।

राज्य के अल्पसंख्यक विभाग ने इस ज्ञापन को कर्नाटक के अल्पसंख्यक आयोग को भेजा है। खबरों के मुताबिक, आयोग ने इस मांग को स्थगित कर दिया है। ज्ञापन में कहा गया है, ‘कोडावा समुदाय अल्पसंख्यक धर्म के दर्जे के योग्य है क्योंकि हमारी जनसंख्या 1.5 लाख से भी कम है। केंद्र ने संविधान की आठवीं अनुसूची में कोडावा थक्क, (कोडावी भाषा) को स्क्रिप्ट के बिना शामिल करने पर विचार किया है और प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की गई है।’ बता दें कि आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देनें की मांग जोर-शोर से उठने लगी है इसे लेकर राज्य में अलग-अलग जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

दूसरी तरफ लिंगायत समुदाय भी इसी जिद्द में लगा है। दरअसल बसवन्ना को मानने वाले आडंबरों, मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं इसलिए वो हिंदू धर्म से अलग होना चाहते हैं। ‘ बता दें कि बसवन्ना को लिंगायत समुदाय के लोग पूजते हैं।

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