राजनीतिक पार्टियां सरकार बनाने के बाद आम आदमियों के एक-एक पैसे का हिसाब भले ही रखती हो किंतु अपने ही पार्टी और अन्य पार्टियों के पैसों का हिसाब उसे मालूम नहीं होता। हमेशा से ही राजनीतिक पार्टियों को चंदे के रूप में मिलते पैसे विवादों का विषय रहा है क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार होने और काले धन का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ में करने का डर बना रहता है। आखिरकार एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट से यह डर अपना वास्तविक रूप लेता दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2016 के बीच राजनीतिक दलों को मिलने वाले करोड़ों रुपए ऐसे जगह से आए जिनका न पेन है, न आधार और न ही कोई पता।rtewr

खबरों के मुताबिक इन चार सालों में राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से अधिक का कुल 1,070.68 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ जिसमें से 89 प्रतिशत यानी 956.77 करोड़ रुपये उन्हें कंपनियों और उद्योग घरानों से प्राप्त हुआ। कॉर्पोरेट कंपनियों सें मिले 956.77 करोड़ रुपए में 705.81 करोड़ रुपए सिर्फ बीजेपी को मिला। वहीं कांग्रेस को 198 करोड़ रुपए मिले। वहीं उद्योग घरोनों से इन चार सालों में एनसीपी को तकरीबन 51 करोड़ रुपए मिले और मार्क्सवाद कम्यूनिस्ट पार्टी को 2 करोड़ के लगभग चंदा मिला और सीपीआई को 18 लाख का चंदा मिला।

इन चंदों में भी कैटेगरी अलग-अलग है। जैसे सत्ताधारी भाजपा को इन चार सालों में 159 करोड़ रुपए ऐसी जगह से मिले हैं जिनका न नाम है न पता, ऐसा ही कुछ हाल अन्य पार्टियों का भी है। जबकि राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक चंदा देने वाले दानदाताओं को ब्योरा हर साल चुनाव आयोग को देना होता है। इसी तरह रिपोर्ट के अनुसार इन चार सालों में राजनीतिक पार्टियों को 1933 दानदाताओं से 384 करोड़ रुपये चंदा मिला जिन्हें देने वालों का पैन नंबर नहीं था। वहीं इस दौरान 1546 दानदाताओं से  मिले करीब 355 करोड़ रुपये देने वाले का  पता नहीं दिया गया था। 

याद दिला दें कि राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की सूचना को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को भी आरटीआई के अंतर्गत लाने की कोशिश की गई थी किंतु नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में हुई सुनवाई में राजनीतिक दलों को आरटीआई से बाहर रखने की पैरवी की थी। वहीं एडीआर के अनुसार बहुजन समाज पार्टी  ने चुनाव आयोग को बताया कि उसे वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच 20 हजार रुपये से अधिक चंदा किसी से नहीं मिला।

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