इस देश का सबसे बड़ा मुद्दा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी की एनआरसी है। इस की खिलाफत करने वाले लोगों के खिलाफ योगी सरकार सख्त हो गई है। जो प्रदर्शन में शामिल थे, और जिन्होंने सरकारी संपत्ती को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है सरकार ने उनके लिए मोर्चा खोल दिया है।

नकद पुरस्कार घोषित

2020 1image

उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले 14 लोगों को फरार घोषित कर दिया और उनकी गिरफ्तारी के लिए नकद पुरस्कारों की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि ये प्रदर्शनकारी लंबे समय से फरार चल रहे हैं।

एक अधिकारिक अखबार के अनुसार, 14 फरार प्रदर्शनकारियों में से 8 प्रदर्शनकारियों पर गैंगस्‍टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर वांटेड घोषित किया गया है और उनके घरों के बाहर नोटिस लगाए गए हैं। इसके अलावा, इन प्रदर्शनकारियों को लेकर कई जगह पोस्‍टर लगाए गए हैं। 

वैमनस्यता फैलाने का आरोप लगा

lucknow

फरार घोषित किए गए प्रदर्शनकारियों पर लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में दंगा फैलाने, आगजनी करने, सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने का आरोप लगा है। आरोपियों में शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास शामिल थे। गौरतलब है कि दिसंबर में लखनऊ में सीएए और एनआरसी को लेकर प्रदर्शन हुआ था, जिसने हिंसक रूप ले लिया था। प्रदर्शनकारियों ने राजधानी तोड़फोड़, आगजनी और पथराव भी किया था। 

40 लोग गिरफ्तार

lucknow

प्रशासन ने पुराने शहर के इलाकों और इमामबाड़ा के पास कई स्थानों पर आरोपियों की तस्वीरें भी चिपका दी हैं।  पिछले साल दिसंबर में लखनऊ में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सहित 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

नया नागरिकता कानून, नागरिक कानून 1955 में संशोधन करके बना है। नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी

बता दें कि कोर्ट ने आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने की कार्रवाई को अनावश्यक और निजता के अधिकार का उल्लंघन माना था। आदेश के अनुपालन की कार्रवाई रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का आदेश दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here