कई बार लोग महिलाओं को कमजोर समझने की गलती कर बैठते हैं। आज के वक्त में महिलाएं कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। वो अपने परिवार के लिए कोई भी काम करने से पीछे नहीं हटती। एसी ही एक कहानी है राजस्थान के जयपुर की (सुंदरपुरा) की रहने वाली मंजू यादव की। मंजू यादव के पति उन्हें तीन बच्चों के साथ हमेशा के लिए छोड़कर चले गए थे। उनके भविष्य के सामने गहरा अंधेरा छा गया था।

Ram Nath Kovindउनके पति कुली थे और उनके गुजर जाने के बाद मंजू के परिवार की आय का कोई और साधन नहीं बचा था। तब मंजू ने एक साहस भरा कदम उठाया, घूंघट और घर की चारदीवारी से निकलते हुए उन्होंने अपने बच्चों का भविष्य संवारने का निश्चय किया। मंजू विधवा महिलाओं से जुड़ी पारंपरिक सोच को चुनौती देते हुए अपने पति की राह पर निकल पड़ीं।

उनका कुली बनने का फैसला परिवार और समाज को रास नहीं आया। इससे पहले शायद ही किसी महिला कुली के बारे में सोचा या सुना होगा। मंजू ने कुली बनकर न केवल अपना और अपने परिवार का खर्चा उठाया बल्कि पुरुषप्रधान समाज और गरीबी से लड़ रही महिलाओं के सामने एक मिसाल भी पेश की। कुली के पेशे में अब मंजू को 5 साल हो चुके हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फैसला किया है कि कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने वाली 112 महिलाओं को वह आज सम्मानित करेंगे। ‘‘फर्स्ट लेडीज’’ नाम की इस पहल में रक्षा बलों, विज्ञान, खेल, उद्योग, मनोरंजन और हॉस्पिटेलिटी जैसे क्षेत्रों से महिलाएं शामिल हैं। इनमें पीटी ऊषा, पी वी सिंधु, सानिया मिर्जा, ऐश्वर्या राय, किरण मजूमदार शॉ जैसी दिग्गज महिलाओं का नाम शामिल हैं।112 women making own identity will be honored by President Ramnath Kovind

इनमें वो महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने कई तरह की रूढ़िवादी सोच को तोड़कर अपनी पहचान बनाई। इनमें मंजू यादव (कूली), छवि रजावत (गांव की सरपंच), हर्षिनी कन्हेकर (पहली महिला दमकल कर्मी), सुनालिनी मेनन (एशिया की पहली पेशेवेर महिला कॉफी-टेस्टर) और शतभी बसु (भारत की पहली महिला बार टेंडर) शामिल हैं।

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