लेखिका Manu Bhandari का निधन, ‘आप का बंटी’ और ‘महाभोज’ जैसी रचनाओं से हिंदी साहित्य को किया समृद्ध

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‘आप का बंटी’ और ‘महाभोज’ जैसी रचनाएं लिखने वालीं लेखिका मन्नू भंडारी (Manu Bhandari) का निधन हो गया है। मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की जानी मानी शख्सियत थीं। मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को हुआ था। भंडारी का रचनाकाल 1950 के दशक के आखिर से 1960 के दशक की शुरुआत के बीच का रहा। वह अपने दो हिंदी उपन्यासों, ‘आप का बंटी’ और ‘महाभोज’ के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती हैं। उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में श्रेय दिया जाता है।

भंडारी उन लेखिकाओं में से एक हैं, जिन्होंने महिलाओं के स्वतंत्र और बौद्धिक किरदारों को जन्म दिया। अपने आख्यानों की विषय-वस्तु के माध्यम से, भंडारी उन संघर्षों और कठिनाइयों पर प्रकाश डालती हैं जिनका महिलाओं ने अतीत में लगातार सामना किया है। महिलाओं के यौन, भावनात्मक, मानसिक और आर्थिक शोषण के बारे में मन्नू भंडारी ने लिखा। उनकी कहानियों में उनके महिला पात्रों को मजबूत, स्वतंत्र , पुरानी आदतों को तोड़ने वाली के रूप में देखा जा सकता है। मन्नू भंडारी ने ‘नई महिला’ की छवि को गढ़ने का काम किया है।

मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को भानपुरा (मध्यप्रदेश) में हुआ था। हालांकि वे अजमेर (राजस्थान) में पली-बढ़ीं। उनके पिता सुखसंपत राय भंडारी एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और कई शब्दकोशों के निर्माता थे। वह पांच बच्चों (दो भाई, तीन बहनों) में सबसे छोटी थीं। उन्होंने अजमेर में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। जिसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा और साहित्य में एमए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने शुरू में कलकत्ता में हिंदी के लेक्चरर के रूप में काम किया, लेकिन बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय में मिरांडा हाउस कॉलेज में हिंदी साहित्य पढ़ाने के लिए दिल्ली लौट आईं। हिंदी के जानमाने लेखक और संपादक राजेंद्र यादव उनके पति थे।

‘आपका बंटी’ ने एक बच्चे की आंखों से एक विवाह के पतन को चित्रित किया

भंडारी का पहला उपन्यास, एक इंच मुस्कान, 1961 में प्रकाशित हुआ था। यह उनके पति, लेखक और संपादक राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा गया था। उनके दूसरे उपन्यास, ‘आपका बंटी’ ने एक बच्चे की आंखों के माध्यम से एक विवाह के पतन को चित्रित किया। बंटी, जिसके माता-पिता अंततः तलाक लेते हैं और अन्य लोगों से दोबारा शादी करते हैं। इस उपन्यास को ‘हिंदी साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है।

‘महाभोज’ भ्रष्ट नौकरशाही में एक आम आदमी के संघर्ष पर प्रकाश डालता है

‘यही सच है’ में भंडारी ने एक महिला के बारे में लिखा है जो दो लोगों में से किसी एक को चुनने का प्रयास कर रही है। एक उसके अतीत से है और एक उसके वर्तमान से है। उनका उपन्यास, ‘महाभोज’ भ्रष्ट नौकरशाही में लगातार एक आम आदमी के संघर्ष और लड़ाई पर प्रकाश डालता है। अन्य कहानियों और उपन्यासों में एक प्लेट सैलाब, तीन निगाहों की एक तस्वीर, त्रिशंकु और आंखों देखा झूठ शामिल हैं।

भारतीय कॉपीराइट कानून में एक ऐतिहासिक निर्णय

भंडारी ने अपने दूसरे उपन्यास, ‘आप का बंटी’ के अधिकार बेच दिए थे और बाद में इसे धर्मेंद्र गोयल द्वारा निर्मित और शिशिर मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म इस्तेमाल किया गया। ‘समय की धारा’ फिल्म में शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा, टीना मुनीम और विनोद मेहरा ने अभिनय किया था। भंडारी ने बाद में फिल्म निर्माताओं पर इस आधार पर मुकदमा दायर किया कि भारतीय कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया गया है। इस मामले में निर्णय भारतीय कॉपीराइट कानून में एक ऐतिहासिक निर्णय रहा। जिसने भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत लेखक के नैतिक अधिकारों के दायरे को स्पष्ट किया।

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