नेशनल मेडिकल कमीशन के खिलाफ ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ और ‘दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन’ का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं। देश के करीब 3 लाख डॉक्टर, 2 जनवरी को संसद में पेश होने वाले नेशनल मेडिकल कमीशन विधेयक के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं। इस हड़ताल के दौरान मंगलवार को सुबह छह से शाम छह बजे तक के लिए सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों के ओपीडी को ठप्प कर दिया गया है, हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं।

‘नेशनल मेडिकल कमीशन’ बिल में ये प्रस्ताव रखा गया है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को एक ‘ब्रिज कोर्स’ पूरा कर लेने के बाद एलोपैथी डॉक्टर की तरह प्रैक्टिस करने की अनुमति दे दी जाए। अगर इस बिल को अनुमति मिल जाती है, तो होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर भी मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकेंगे। इस विधेयक के पास होने से एमबीबीएस का मानक खत्म हो जाएगा, जिससें नीम-हकीमी करने वाले भी डॉक्टर्स बन जाएंगे।

MArijआईएमए इसका कड़ा विरोध कर रही है उनका मानना है, इससे बड़े पैमाने पर चिकित्सा का स्तर गिरेगा और यह मरीज की देखभाल और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा। इस बारे में आइएमए के महासचिव डॉ. आरएन टंडन का कहना है, इस बिल के पास होने से इलाज महंगा हो जाएगा, जिससें भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए की मांग है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस के लिए एमबीबीएस का मानक बना रहना चाहिए।

इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा, कि हमने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से इस बारे में कल बात की थी, हमने उनकी बात सुनी और अपना पक्ष भी बताया था।

डॉक्टरों की इस हड़ताल से हजारों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना ये होगा कि आईएमए के इस विरोध प्रदर्शन का सरकार पर क्या असर पड़ता है।

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