Hanuman Jayanti 2022: केसरी नंदन हनुमान जी को चढ़ाएं नारंगी सिंदूर और चोला, शत्रुओं का होगा नाश, संवरेंगे बिगड़े काम

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Bada Mangal
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Hanuman Jayanti 2022:चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रीराम के परम भक्त, पराक्रमी और विद्वान केसरी नंदन हनुमान जी महाराज की जयंती मनाई जाएगी। भगवान हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में भगवान विष्णु के रामावतार के समय उनके सहयोग के लिए हुआ था। इन्‍हें रूद्र का 11वां अवतार भी माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि जब तक ये सृष्टि व्‍याप्‍त है, तब तक प्रभु श्रीराम के आदेश का पालन करते हुए हनुमान जी उनके भक्‍तों की रक्षा करेंगे। उनके सभी कष्‍टों को हरेंगे उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था।

हनुमान जी के जन्म दिवस को हनुमथ जयंती, हनुमान व्रतम् आदि नामों से भी जाना जाता है। वैसे तो हनुमान जयंती की तिथियां अलग-अलग हैं। उसी आधार पर सालभर में अगल-अलग तिथियों में हनुमान जयंती मनाई जाती है, लेकिन चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती की अत्यधिक मान्यता है।

कहा जाता है कि जो भी भक्‍त पूरे मनोयोग से श्रीराम जी की सेवा भक्ति करता है। हनुमान जी उनसे जल्‍द ही प्रसन्‍न होते हैं। इसके साथ ही जो भक्‍त हनुमान जी महाराज को नारंगी सिंदूर और सच्‍चे मन से चोला अर्पित करता है। उनके दुख, कष्‍ट और संकट वे हर लेते हैं।

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जानिये Hanuman Jayanti 2022 ति​थि एवं मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल दिन शनिवार को तड़के 02 अजकर 25 मिनट पर शुरू हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन उसी दिन देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को हो रही है। ऐसे में हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। इसी दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमान जी का जन्मोत्‍सव की धूम रहेगी।

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Hanuman Jayanti 2022: हनुमान जी की जन्म कथा
पौराणिक कथा के अनुसार अयोध्या नरेश राजा दशरथ जी ने जब पुत्रेष्टि हवन कराया था। उन्होंने प्रसाद स्वरूप खीर अपनी तीनों रानियों को खिलाई। उस खीर का एक अंश एक कौआ लेकर उड़ गया और वहां पर पहुंचा, जहां माता अंजना शिवजी की तपस्या में लीन थीं।

मां अंजना को जब वह खीर प्राप्त हुई तो उन्होंने उसे शिवजी के प्रसाद स्वरुप ग्रहण कर लिया। इस घटना में भगवान शिव और पवन देव का योगदान था। उस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन्म हुआ। इसीलिए हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्रवतार कहलाते हैं। माता अंजना के कारण हनुमान जी को आंजनेय, पिता वानरराज केसरी के कारण केसरीनंदन और पवन देव के सहयोग के कारण पवनपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है।

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ये 5 वस्‍तुएं हनुमान जी को चढ़ाने से मिलता है जबदरस्‍त लाभ

  • प्रभु श्रीराम को स्‍मरण करते हुए हनुमान जी का ध्‍यान करें। उनकी मूर्ति के आगे एकाग्रचित्‍त होकर बैठें। उनकी विशेष कृपा पाने के लिए उन्‍हें केसरिया सिंदूर चढ़ाएं। ध्‍यान रहे सिंदूर पीपल या पान के पत्ते पर रखकर अथवा उनकी प्रतिमा पर लगाएं।
  • उनकी तस्‍वीर अथवा मूर्ति के आगे चमेली के तेल का दीपक जगाएं, शत्रु बाधा शांत होगी।
  • किसी मंगलवार अथवा शनिवार को एक तिकोना लाल ध्वज श्रीराम नाम अंकित उनके मंदिर में जाकर लगाएं। दुर्घटना से बचाव होगा। संपत्ति का लाभ होगा।
  • बूंदी या बेसन के बने लड्डू तुलसी दल के साथ उन्‍हें चढ़ाएं, आपके समस्‍त ग्रह शांत होंगे। परिवार में शांति रहेगी।
  • पीपल के पत्‍ते पर लाल सिंदूर एवं चमेली का तेल मिलाकर राम नाम लिखें। इसकी बनी 11 पत्‍तों की माला उन्‍हें अपनी मनोकामना कहते हुए चढ़ाएं। नौकरी, विवाह अथवा पुरानी चली आ रही कठिन समस्‍या का समाधान होगा। दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट स्थित गुप्‍त हनुमान मंदिर के पुजारी का कहना है कि प्रभु श्रीराम जी के स्‍मरण मात्र से ही हनुमान जी अपने भक्‍तों की रक्षा करने के लिए स्‍वयं आते हैं।

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