Vicky Kaushal ने Sardar Udham को बखूबी जिया है, समीक्षा से परे एक संवेदनशील बायोपिक है सरदार उधम

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आखिर क्यों 'Sardar Udham' को Oscar में नहीं मिली एंट्री? वजह जान कर आप भी हो जाएंगे हैरान

अमेजन प्राइम वीडियो पर ‘सरदार उधम’ (Sardar Udham) फिल्म रिलीज हो चुकी है। फिल्म क्रांतिकारी उधम सिंह के जीवन पर आधारित है, जिसका निर्देशन शूजित सरकार ने किया है। जिन लोगों को उधम सिंह के बारे में न मालूम हो उनके लिए मुख्तसर अंदाज में बता दें कि उधम सिंह माइकल ओ डायर को मारने के लिए जाने जाते हैं। माइकल ओ डायर साल 1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर हुआ करते थे। एक तरह से डायर इस बर्बर हत्याकांड के लिए जिम्मेदार थे। आखिर में साल 1940 में लंदन पहुंच सरदार उधम सिंह ने माइकल डायर को मार जलियांवाला बाग हत्याकांड (jallianwala Bagh massacre) का बदला लिया था।

फिल्म में जलियांवाला बाग कांड की त्रासदी नजर आती है

हाल ही में मोदी सरकार द्वारा जलियांवाला बाग के सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा किया गया था। लेकिन इसके बाद एक विवाद ने जन्म ले लिया था कि इस तरह की जगह जहां सैकड़ों से हजार के आस-पास लोगों की जान गई हो इसे एक मनोरंजन पार्क की शक्ल देना कितना ठीक है। लेकिन फिल्म ऐसी नहीं है। फिल्म में जलियांवाला बाग कांड की त्रासदी को काफी संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया है। जो कि इस हत्याकांड की मार्मिकता के साथ न्याय करती है।

फिल्म में उधम सिंह का किरदार निभा रहे विक्की कौशल (Vicky Kaushal) ने उधम सिंह के किरदार को बखूबी जिया है। फिल्म का वह हिस्सा जिमसें हत्याकांड के बाद विक्की कौशल यानी उधम सिंह लाशों के ढेर से जिंदा लोगों को उठाकर अस्पतालों तक पहुंचाते हैं अपने आप में विकी कौशल के बेहतरीन अभिनय को बताता है।

अफगानिस्तान होते हुए लंदन पहुंचते हैं उधम सिंह

फिल्म की शूटिंग हिंदुस्तान के बाहर, रूस, युनाइटेड किंगडम, जर्मनी और आयरलैंड में की गयी है। निर्देशक शूजित सरकार ने फिल्म को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट करार दिया है। फिल्म में दिखाया गया है कि उधम सिंह अफगानिस्तान, रूस (तत्कालीन यूएसएसआर ) होते हुए लंदन पहुंचते हैं। वे लंदन में 6-7 साल का वक्त बिताते हैं और तय करते हैं कि आखिर वे अपने मकसद को कैसे पूरा कर सकते हैं। इस दौरान वे लंदन में सक्रिय भारतीय क्रांतिकारियों के संपर्क में भी आते हैं। फिल्म में उधम सिंह की एक छोटी लव स्टोरी भी दिखायी गयी है जो कि उनके विदेश प्रवास के दौरान समानांतर चलती रहती है।

क्रांतिकारी और आतंकी के बीच फर्क

फिल्म में दिखाया गया है कि जेल में जांच पड़ताल के दौरान उधम सिंह जांच अधिकारियों को बताते हैं कि एक आतंकी लोगों में दहशत पैदा करने के लिए किसी की जान लेता है जबकि क्रांतिकारी का मुख्य उद्देश्य ‘प्रोटेस्ट’ करना होता है। मसलन भारत में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली में बम किसी की जान लेने के लिए नहीं फेंके थे बल्कि ब्रिटिश सरकार के बहरे कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए फेंके थे। जिसके तुरंत बाद ही उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दे दी थी। फिल्म में भी उधम सिंह का किरदार निभा रहे विक्की कौशल माइकल डायर को मारने के बाद गिरफ्तारी दे देते हैं।

फिल्म में दिखाया गया है कि उधम सिंह कई मौकों पर माइकल डायर को मार सकते थे लेकिन उन्होंने उस जनसभा को ही चुना जहां डायर ब्रिटिश शासन की भारत पर हुकूमत के पक्ष में बोल रहे थे और जलियांवाला हत्याकांड को सही ठहरा थे। फिल्म में बताया गया है कि माइकल ओ डायर शैतानी ब्रिटिश साम्राज्यवादी व्यवस्था के प्रतीक थे इसलिए उन्हें मारा गया। लक्ष्य किसी व्यक्ति का अंत करना नहीं बल्कि उस दमनकारी व्यवस्था का अंत करना है जो भारतीयों का शोषण कर रही थी।

उधम सिंह और भगत सिंह की दोस्ती

फिल्म में दिखाया गया है कि भगत सिंह और उधम सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे, जो कि एक अंडरग्राउंड क्रांतिकारियों का एक संगठन था। दोनों क्रांतिकारियों के बीच की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब उधम सिंह को फांसी दी जा रही होती है तो वे उस समय अपने हाथ में भगत सिंह की तस्वीर रखते हैं।

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