UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव कुछ ही दिन में होने वाले हैं। राज्य के पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो जाट वोटरों ने बीजेपी को अच्छे खासे वोट दिए थे लेकिन किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी यूपी की राजनीति में बदलाव आया है और ऐसा माना जा रहा है कि जाट वोटर अपनी पुरानी पार्टी आरएलडी की तरफ जाते दिख रहे हैं। इसी के मद्देनजर जाट वोटरों को साधने में जुटे गृह मंत्री Amit Shah बुधवार शाम दिल्ली में बड़ी संख्या में जाट नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं और किसी बड़े जाट नेता के घर पर मीटिंग होने की संभावना है।
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अमित शाह ने जाट नेता बीरेंद्र सिंह के घर पर समुदाय के नेताओं से मुलाकात की थी और वेस्ट यूपी के जाट लैंड में भगवा का परचम लहराया था और इसी के चलते राज्य में बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनी।
पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश में किया है अच्छा प्रदर्शन
पश्चिमी उत्तरप्रदेश की बात करें तो पिछले कुछ चुनाव में बीजेपी को यहां अच्छा खासा वोट मिला है। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद क्षेत्र की राजनीति बदली थी। 2014 में पश्चिमी यू.पी. में बीजेपी को 50 प्रतिशत वोट मिला था। 2014 में बीजेपी ने जाट बेल्ट पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव सर्वेक्षण में सीएसडीएस ने बताया था कि जाटों ने भाजपा को बड़े पैमाने पर वोट दिया और पार्टी को 77 फीसदी जाट वोट मिले थे।
2017 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को अच्छा वोट मिला था हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन के कारण यहां बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान हुआ था लेकिन 91 प्रतिशत जाटों ने भाजपा को वरीयता दी थी।
UP Election 2022: किसान आंदोलन का पश्चिमी उत्तरप्रदेश में प्रभाव
तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद किसान आंदोलन हुआ और उसके बाद से जाट बीजेपी से नाराज हो गए हैं। बता दें कि क्षेत्र में 1.5 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से लगभग 70% गन्ने की फसल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका के लिए निर्भर हैं। पंचायत चुनावों में भी बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सीटें गंवाईं हैं। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं अब देखतें हैं कि पिछले चुनावों की तरह जाट बीजेपी के साथ जाते हैं कि नहीं?
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