सरकार और जनता पहले बड़े नोटों के नकलीपन से परेशान थी। इतना परेशान कि सरकार को नोटबंदी तक करवानी पड़ी। लेकिन अब जालसाजों की नजर सिक्कों पर है। जी हां, दिल्ली की स्पेशल सेल ने हरियाणा से एक आदमी को पकड़ा है जो कई सालों से नकली सिक्कों को बनाता था और उनका कारोबार भी करता था। दिल्ली पुलिस को इस आदमी की कई महीनों से तलाश थी। यहां तक कि इसके ऊपर पुलिस ने 1 लाख का ईनाम भी रखा हुआ था। आखिरकार पुलिस ने 4 जून को सफलता पाते हुए इसे हरियाणा के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया।
जानकारी के मुताबिक अब तक 100 करोड़ रकम के सिक्कों को बाजार में खपाया जा चुका है। स्पेशल सेल के मुताबिक नकली सिक्कों की बड़ी खेप को टोल कलेक्शन करने वाले टोल प्लाजा पर खपाया जाता था। स्पेशल सेल इस बात का पता लगा रही है कि कौन-कौन से टोल प्लाजा का इस्तेमाल ऐसे सिक्कों को खपाने के लिए किया गया है। साथ ही वह गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की जानकारी जुटाने में भी लगी है। पुलिस का कहना है कि नकली सिक्का बनाने वाला आरोपी सिक्कों को ऐसा बनाता है कि असली और नकली का फर्क करना मुश्किल है। साथ ही डिमांड के हिसाब से वह अपना फायदा देखते हुए सिक्कों को बेचा करता था।
नकली सिक्कों को बनाने वाले इस जालसाज का नाम उपकार लूथरा है। रुद्रपुर, उत्तराखंड का रहने वाला 50 वर्षीय उपकार की कहानी यह है कि इसने पहले अपने धंधे की शुरूआत एक ज्वैलरी शॉप से की। किंतु दुर्भाग्यवश इसके दुकान में चोरी हो गई। बाद में इसने दूसरे धंधों की शुरूआत की किंतु असफलता मिली। फिर इसके मन में नकली सिक्कों को बनाने का आईडिया आया। फिर क्या था यह नकली सिक्कों को बनाने के दलदल में कूद पड़ा। इसने दिल्ली और अन्य स्थानों में नकली सिक्के बनाने का कारखाना खोल लिया। लेकिन बीच-बीच में यह कई बार गिरफ्तार भी हुआ किंतु कम सजा मिलने के कारण यह छूट गया और नेपाल भाग आया। यहां भी इसने नकली सिक्के बनाने का काऱखाना खोल लिया। बाद में इसने अपने छोटे भाई स्वीकार लूथऱा को भी शामिल कर लिया। फिर क्या दोनों भाई मिलकर जालसाजी का यह खेल खेलने लगे। दोनों ने मिलकर चरखी दादरी, अंबाला समेत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में करीब 10 जगह नकली सिक्कों को बनाने का कारखाना लगा लिया। दोनों लोग मिलकर इस जालसाजी को इंटरनेशनल मार्केट में ले जाना चाहते थे। इस पूरे घटनाक्रम में इसने लूट, हत्या, झगड़ा आदि कार्यों को भी अंजाम दिया।