भले ही मोदी सरकार विकास के लाख वादे कर रही हो। लेकिन बजट के ठीक बाद शेयर बाजार बिखर सा गया है। शुक्रवार को शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 839 अंक गिरकर 35066 के स्तर पर और निफ्टी 256 अंक की कमजोरी के साथ 10760 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है। बताया जा रहा है कि पिछले ढाई साल में यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं अगस्त 2017 के बाद पहली बार बाजार में ऐसी गिरावट दर्ज की गई है। इस बीच क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने शुक्रवार को कहा कि सरकार पर कर्ज के भारी दबाव के कारण भारत की रेटिंग में सुधार रुक गया है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार में गिरावट के लिए कई वजहें हैं और इस गिरावट से निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को बजट 2018-19 में शेयर से होने वाली कमाई पर लॉन्ग्ा टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने का एलान किया है। इससे निवेशकों का सेंटीमेट्स बिगड़ा है। इसके तहत एक साल से ज्यादा रखे गए शेयरों पर अगर 1 लाख से ज्यादा इनकम होती है, तो निवेशकों को 10 फीसदी टैक्स देना होगा। बता दें कि शुक्रवार को कारोबारी सत्र के दौरान बीएचईएल, बजाज फाइनेंस, टाटा पावर, बजाज ऑटो, अल्ट्राटेक सीमेंट, भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक और मारुति सुजुकी 7-4.3 फीसदी तक लुढ़क कर बंद हुए। हालांकि टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक और टीसीएस 1.4-0.5 प्रतिशत बढ़कर बंद हुए।
फिच ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है और कहा है कि भारत की रैटिंग में सुधार रुक गया है। फिच का यह बयान ऐसे समय आया है, जब एक ही दिन पहले पेश बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत किया है।