अरुणाचल प्रदेश के सियांग क्षेत्र के टूटिंग में चीनी कर्मचारियों का कंस्ट्रक्शन का काम जारी था, जिसे जब भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने रोकने की कोशिश की, तो चीनियों ने कहा, कि हम अपने इलाके में काम कर रहे हैं इसलिए हम यहां से कही नहीं जाएंगे। हालांकि जब सुरक्षाकर्मियों द्वारा सबूत पेश किए गए, तो चीनी कर्मचारियों को दुम दबाकर वहां से भागना पड़ा। लेकिन चीन कभी अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ सकता, जाते-जाते चीन के कर्मचारी बेहद ही रहस्यमय तरीके से खुदाई के लिए लाई गई अपनी दो मशीनें भारतीय इलाके में छोड़कर चले गए। इस मामलें में भारत ने चीन को संदेश भेजा है, कि वे अपनी मशीनें वापस ले जाए।

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले को निपटाने के लिए दोनों देशों के बीच संपर्क कर लिया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, कि सीमा से जुड़े विवाद को दोनों देश सुलझाने में सक्षम हैं और सीमा पर शांति दोनों देशों के हित में है।

अरुणाचल पर कब्जा चाहता है चीन

इस मामले में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को भारतीय सीमा के अंदर घुसने की बात पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि वह अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व नहीं मानता है। हालांकि चीन चाहता है कि अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका उसे सौंप दिया जाना चाहिए। चीन शुरू से ही अरुणाचल प्रदेश को हथियाना चाहता है और चीन को हमेशा ही भारतीय नेताओं के अरुणाचल का दौरा करने से आपत्ति रहती है। जब मोदी ने 2015 में अरुणाचल का दौरा किया था, तब भी चीन को इससे मिर्ची लग गई थी। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और अमेरिकी राजदूत की अरुणाचल यात्रा पर चीन ऐतराज जता चुका है।

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