अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भारत को अफगानिस्तान का सबसे भरोसेमंद क्षेत्रीय साझेदार बताया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के पेंटागन ने कहा है कि अफगानिस्तान को विकास सहायता देने के मामले में भारत सबसे आगे है।  अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई छमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अफगान अधिकारियों और आवेदन देने वाले कर्मियों को प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण अवसर मुहैया करा रहा है।  इसके अलावा इस साझेदारी में अफगानिस्तान-भारत मित्रता बांध और अफगान संसद भवन जैसी विकास परियोजनाएं भी शामिल हैं।

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पेंटागन द्वारा अमेरिकी कांग्रेस में पेश यह पहली छमाही रिपोर्ट है। इसमें भारत द्वारा अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को दी जा रही प्रशिक्षण सुविधा का जिक्र किया गया है। इसके तहत हर साल लगभग 130 अफगानी नागरिक भारतीय सैन्य अकादमी और दूसरी संस्थाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने भारत आते हैं।

दिसंबर 2016 से मई 2017 तक के ब्यौरे को दर्ज करने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अफगानिस्तान को सीमित मात्रा में सैन्य सहायता भी उपलब्ध करा रहा है, जिसमें चार एमआई-35 एयरक्रॉफ्ट दिया जाना उल्लेखनीय है।  इसके अलावा इस रिपोर्ट में ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार पोर्ट समझौते पर हस्ताक्षर का भी जिक्र है। दरअसल यह समझौता  मध्य एशिया और यूरोप में व्यापार का एक मार्ग खोलने तथा पाकिस्तान को दरकिनार करने के संबंध में हुआ है।

हालांकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत ने अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच अफगानिस्तान को 221 करोड़ रुपये की विकास सहायता उपलब्ध कराई है। खबरों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन अपनी अफगान नीति बना रहा है जिसके लिए वह  पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा पर भी विचार कर रहा है। ऐसा संभावना भी है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद खत्म करने के लिए अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है और इसलिए भी वो अफगानिस्तान और भारत की ओर देख रहा है क्योंकि यह दोनों देश ही हमेशा आतंकवाद का विरोध करते आए हैं।  यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए उसे दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद करने पर भी विचार कर सकता है।

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