अफगानिस्तान जहां की औरतें दुनिया भर में फैशन आइकॉन के नाम से जानी जाती थी। वो अफगानिस्तान जो 1980 के पहले खूबसूरत हुआ करता था, आजादी थी, हवा में इंसानियत थी लेकिन वहां की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। हर तरफ तालिबान का कब्जा और खौफ है।

विश्व की राजधानी अमेरिका ने अप्रैल माह में जैसे ही अपनी सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया उसके फौरन बाद ही अफगानिस्तान का आतंकी संगठन तालिबान ने वहां के 50 से अधिक जिलों पर कब्जा कर लिया। कब्जे के साथ ही इस्लामिक कानून को लागू कर दिया।

यह सिलसिला बढ़ते ही जा रहा है। आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर भी कब्जा कर लिया है। वे अब राजधानी काबुल की तरफ बढ़ रहे हैं। तालिबान के पहुंच से राजधानी महज 90 किलो मीटर दूर है।

शुक्रवार को आई खबर के अनुसार तालिबान ने देश के बड़े शहरों में शुमार गजनी और हेरात पर भी कब्जा कर लिया है। बड़े शहरों को अपने कब्जे में लेने क बाद तालिबान ने अपनी ताकत का परिचय दिया है। संगठन की नजर अब काबुल पर टिकी है।

अफगानिस्तान के कुल 34 प्रांत में से करीब 12 से अधिक प्रांतों पर अब पूरी तरह से तालिबान का कब्जा है। कंधार अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, ऐसे में यहां पर तालिबान का कब्जा होना एक बड़ा खतरा है। कंधार से अधिकारी भाग रहे हैं। बच्चें और औरतें अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ रही हैं।

तालिबान ने गुरुवार की रात को कंधार पर हमला बोला और सुबह होते – होते लड़ाकों ने उसे हथिया लिया। वहीं हेरात देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां पर तालिबानियों ने एक मस्जिद पर अपना डेरा जमाया हुआ है। हेरात की मस्जिद ऐतिहासिक है। इस इलाके का संबंध एलेक्सजेंडर द ग्रेट से है। लेकिन अब यहां की सभी सरकारी बिल्डिंगों पर तालिबान का कब्जा हो गया है।

2001 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान आने से पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में जंगल राज कायम कर दिया था और नियमों का उल्लंघन करने वालों को जलील किया जाता था। महिलाओं को सड़कों पर मारा जाता था, और तालिबान कि इस्लामी पुलिस महिलाओं पर सख्ती से तालिबानी कानून लागू करती थी।

अमेरिकी सेना के आने के बाद देश के हालात सुधर रहे थे लेकिन अफगानिस्तान अब फिर 20 साल पीछे चला गया है। यहां पर तालिबान की ताकत बढ़ती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अभी हाल ही में एक बयान देते हुए कहा था कि अफगानी सेना को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी।

तालिबान के कब्जे के बाद महिलाओं की स्थिती सबसे खराब हो गई है। तालिबानी कानून के अनुसार, कोई महिला अकेले घर के बाहर नहीं जाएगी, शिक्षा से रिस्ता खत्म करना होगा, फैशन से दूरी बनानी होगी। कहते हैं जब किसी देश में सत्ता में फेर बदल होता है तो महिलाओं को सबसे पहले शिकार बनाया जाता है। इस कहावत की तस्वीर अफगानिस्तान में दिख रही है।

तालिबानी कानून महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के लिए भी सख्त है। अब वहां के पुरुष दाढ़ी नहीं बना सकते हैं। लेकिन सबसे अधिक कहर तो महिलाओं पर बरपा है। तालिबानी कानून के अनुसार महिलाएं अब सिर्फ वस्तु हैं। उन्हें सांस लेने की इजाजत होगी लेकिन फैसला तालिबान करेगा कब तक लेनी है।

तालिबान की कैद से महिलाओं को छुड़ाने के लिए अमेरिका साल 2001 से कोशिश कर रहा था लेकिन यह कभी न खत्म होने वाला युद्ध था। यही कारण है कि बाइडेन ने अपनी सेना को वापस बुला लिया और वहां कि महिलाओं की जिंदगी से सबेरा शब्द हमेश के लिए खत्म हो गया।

यह भी पढ़ें:

अफगानिस्तान में तालिबान ने 50 से अधिक जिलों पर किया कब्जा, सड़क पर महिलाओं की पिटाई, फैशन की इजाजत नहीं, कभी पहनती थी मिनी स्कर्ट्स

तालिबान के हमले से घर छोड़ भागने को मजबूर हुआ अफगानिस्तान का ‘मेसी’

शुरुआती तौर पर तालिबान ने ऐलान किया था कि इस्लामी इलाकों से विदेशी शासन खत्म करना, वहां शरिया कानून और इस्लामी राज्य स्थापित करना उनका मकसद है। शुरू-शुरू में सामंतों के अत्याचार, अधिकारियों के करप्शन से आजीज जनता ने तालिबान में मसीहा देखा और कई इलाकों में कबाइली लोगों ने इनका स्वागत किया पर अफगानी जनता इस बात से अंजान थी कि वे अपने हाथ से ही अपने लिए कबर खोद रहे हैं। खैर कहा जाता है कि अफगानिस्तान में तालिबान को खड़ा करने के लिए साऊदी अरब का बड़ा हाथ था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here