सनातन संस्कृति में नाग का पूजा किया जाता है। हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता के लिए व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा किया जाता है। अगर भक्त ऐसा करते है तो आशीर्वाद मिलता है और कई अन्य शुभ फल मिलते हैं। इस बार नाग पंचमी 13 अगस्त को पड़ रही है। यह दिन काल सर्प दोष का निवारण करने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।आज हम आपको बताएंगे नाग पंचमी की पूजा और इस दोष का निवारण करने की पूरी विधि।
नाग पंचमी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इस व्रत के लिए तैयारी चतुर्थी के दिन से ही शुरू हो जाती हैं. चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें. इसके बाद पंचमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें. फिर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें. कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें. पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारी उतारें। आखिर में नाग पंचमी की कथा जरूर सुने
अगर आप की कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो इससे काल सर्प दोष कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। काल सर्प दोष के अलावा भी यदि राहु-केतु की वजह से जीवन में कोई कठिनाई आ रही हो, तो भी नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने पर राहु-केतु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है.
ये भी पढ़ें-मासिक शिवरात्रि में “महामृत्युंजय मंत्र” का महत्व है बेहद खास, अकाल मृत्यु से दिलाता है मुक्ति
ऐसे जातकों को सांप को दूध अर्पित करने से लाभ मिलता होगा लेकिन आप दूध के पैसे सपेरे को न दें अपितु परोक्ष रूप से नाग को अर्पित करें। यदि सपेरा स्वयं दूध पी जाता है या आप द्वारा दिए गए पैसों का भोजन कर लेता है तो उस उपाय अथवा दान का कोई माहात्म्य नहीं रह जाता. सर्पपालक के तौर पर उसे अलग से दान दिया जा सकता है।जातक खुद भी काल सर्प दोष की शांति के लिए पूजा कर सकता है। इसके लिए ओम् रां राहुवे नम: मन्त्र का या ओम कुरूकुल्ये हुं पट स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करके शिव प्रतिमा पर दुध, नाग-नागिन की प्रतिमाएं आदि अर्पित कर सकते हैं।