Supreme Court: OBC जातिगत जनगणना के आंकड़ों की मांग वाली याचिका 4 सप्ताह के लिए टली

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Supreme Court: OBC की जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की मांग पर केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि जाति से संबंधित जनगणना के रिकॉर्ड में उपलब्ध विवरण विश्वसनीय नहीं है। उस रिकॉर्ड के आधार पर किसी प्रकार के आरक्षण, रोजगार या स्थानीय चुनाव के लिए उपयुक्त नहीं है। याचिका को 4 सप्ताह के लिए टाल दिया गया है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि 2021 की जातिगत जनगणना में OBC आबादी की अलग से गिनती करने के निर्देश न दिए जाए। साथ ही कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर विचार ही नहीं किए जाने का भी केंद्र ने आग्रह किया है।

केंद्र सरकार ने आगामी 2021 की जनगणना के प्रश्नों में जाति जनगणना को शामिल करने की राज्य की मांग का भी विरोध किया है। इस पर कोरोना महामारी की वजह से रोक लगी हुई है। केंद्र सरकार का कहना है कि जनगणना के लिए प्रश्नों कि सूची पहले ही बनाई जा चुकी हैं और किसी भी मामले में जाति को जनगणना में शामिल नहीं करने का निर्णय एक नीतिगत मामला है। इसलिए मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

महाराष्ट्र सरकार ने 2011 SECC जनगणना के आंकड़े जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिससे प्रदेश सरकार जिला परिषदों और पंचायत समिति अधिनियम के तहत घोषित ओबीसी के लिए 27% आरक्षण को लागू कर सकें।

बिहार के सीएम ने भी पीएम से मिलकर जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की

हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से ओबीसी से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे ये उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले साल जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया, लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है।

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