Shivsena VS Shinde: केंद्रीय चुनाव आयोग (चुनाव आयोग-ECI) ने शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को सील कर दिया। इसके अलावा, ठाकरे गुट और शिंदे गुट को अस्थायी रूप से शिवसेना नाम का उपयोग करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के सियासी गलियारों से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे की प्रतिक्रिया के बाद शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि वह आगे संघर्ष के लिए तैयार हैं। दरअसल आदित्य ठाकरे अपने एक ट्वीट में कहा कि, “कायरतापूर्ण देशद्रोहियों ने आज शिव के नाम और प्रतीक को फ्रीज करने का एक घिनौना और बेशर्म कृत्य किया है। महाराष्ट्र की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।” लड़ेंगे और जीतेंगे!
Shivsena VS Shinde: हम जीतकर दिखाएंगे- उद्धव ठाकरे
वहीं उद्धव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के साथ एक फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि वह जीतकर दिखाएंगे। अब इंस्टाग्राम पर इस पोस्ट का शिवसैनिकों ने कड़ा जवाब दिया है। शिवसैनिकों ने कहा है कि वे अगले संघर्ष के लिए तैयार हैं। संघर्ष से ही शिवसेना बनी है और हम संघर्ष से भी आगे बढ़ेगें।
बता दें कि बीते दिनों उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की लड़ाई में दोनों गुटों को बड़ा झटका लगा है। शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया गया। हालांकि इस बीच, यह कहा जा रहा है कि कि यह निर्णय अस्थायी है। खबर है कि यह फैसला सिर्फ अंधेरी उपचुनाव के लिए लिया गया है। आयोग ने नए चुनाव चिह्न के लिए 10 अक्टूबर तक दावा करने का भी निर्देश दिया है। यहां तक कि ये दोनों गुट शिवसेना पार्टी के नाम का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते। पता चला है कि आयोग ने सोमवार दोपहर 1 बजे तक नए चुनाव चिह्न के लिए विकल्प देने की बात कही है।
Shivsena VS Shind: बैठक के बाद शिवसेना के धनुष-बाण के प्रतीक चिन्ह को आयोग ने फ्रीज कर दिया
दरअसल ठाकरे और शिंदे समूहों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपने-अपने दावे किए थे। ठाकरे समूह और शिंदे समूह के दावों के बाद चुनाव आयोग की मैराथन बैठक हुई और इस बैठक में दोनों दावों पर विचार किया गया। उसके बाद आयोग ने स्पष्ट किया कि शिवसेना के धनुष-बाण के प्रतीक चिन्ह को फ्रीज कर दिया है। शिवसेना ठाकरे समूह के नेता चंद्रकांत खैरे ने कहा कि हमें इससे गहरा दुख है। यह फैसला चौंकाने वाला है। यह शिवसैनिकों के लिए बहुत दर्दनाक है। यह मराठी लोगों और हिंदुत्व के लिए खतरनाक है। देशद्रोहियों का यह पाप कभी नहीं धुलेगा।
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