उद्धव गुट को झटका, बनी रहेगी शिंदे गुट के विधायकों की विधानसभा सदस्यता

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महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने आज अपना फैसला दिया। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि शिवसेना का शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। इस तरह से शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता। उन्होंने अपने फैसले में चुनाव आयोग के फैसले को आधार माना।

दोनों गुटों के दावे पर क्या बोले राहुल नार्वेकर ?

  • महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा, ”शीर्ष अदालत के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं। ऐसे में मैंने उस संविधान को ध्यान में रखा जो संविधान दोनों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था।” ”कौन सा गुट वास्तविक शिवसेना है, इसके लिए ईसीआई द्वारा प्रदान किया गया संविधान ही शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है।” राहुल नार्वेकर ने कहा, “शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर विचार नहीं कर सकता । रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं।”
  • उन्होंने कहा कि शिवसेना के दो गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है। नेतृत्व पर दोनों दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा।
  • राहुल नार्वेकर ने कहा, ”मेरे सामने मौजूद सबूतों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि वर्ष 2013 के साथ-साथ वर्ष 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था। हालांकि, मैं स्पीकर के रूप में 10वीं शेड्यूल के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहा हूं। मैं ईसीआई के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता।” नार्वेकर ने कहा, “21 जून 2022 को शिंदे गुट ही असली शिवसेना था।” “मेरे विचार में, 2018 नेतृत्व संरचना शिवसेना संविधान के अनुसार नहीं थी। पार्टी संविधान के अनुसार शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पार्टी से नहीं हटा सकते हैं। जून 2022 में उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे को हटाना शिवसेना संविधान के आधार पर स्वीकार नहीं है।” राहुल नार्वेकर ने कहा, ”2018 का नेतृत्व शिवसेना के संविधान (1999 के जिस पर भरोसा किया जाता है) के अनुरूप नहीं था। इस नेतृत्व को यह निर्धारित करने के लिए मानदंड के रूप में नहीं लिया जा सकता है कि कौन सा गुट वास्तविक शिवसेना है।”

कब क्या हुआ था यहां पढ़ें टाइमलाइन

2022

20 जून: एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 15 शिवसेना विधायक सूरत पहुंचे।

23 जून: महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा 16 विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिया गया।

25 जून: 16 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और 26 जून को शीर्ष अदालत ने 16 बागी विधायकों को अंतरिम राहत दी।

3 जुलाई: महाराष्ट्र विधानसभा में नए स्पीकर ने शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को मान्यता दी।

23 अगस्त: मामला संवैधानिक पीठ को भेजा गया।

2023

16 मार्च: शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई पूरी की लेकिन आदेश सुरक्षित रख लिया।

11 मई: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार जारी रहेगी। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

17 अक्टूबर: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी के लिए महाराष्ट्र अध्यक्ष की खिंचाई की। अदालत ने स्पीकर को मामलों को सुलझाने के लिए एक समयसीमा तय करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अध्यक्ष को यह भी चेतावनी दी कि यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो अदालत एक समयसीमा तय करेगी।

30 अक्टूबर: शीर्ष अदालत ने अंततः शिंदे गुट और ठाकरे गुट द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर क्रॉस याचिकाओं पर अध्यक्ष द्वारा निर्णय लेने की समय सीमा 31 दिसंबर निर्धारित की।

15 दिसंबर: शीर्ष अदालत ने समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी।

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