Jharkhand सरकार ने नमाज के लिए आवंटित किया कमरा, BJP का विधानसभा के बाहर प्रदर्शन

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BJP protests at Jharkhand Legislative Assembly
BJP MLA's protests at Jharkhand Legislative Assembly

Hemant Soren की नेतृत्‍व वाली Jharkhand सरकार द्वारा विधानसभा में नमाज अदा करने के लिए एक कमरा आवंटन करने के बाद राज्‍य की विपक्षी दल के BJP विधायकों ने विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, सोमवार को विधानसभा के Monsoon Session के पहले दिन कार्यवाही बाधित कर दी गई। विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले भाजपा के विधायक विधानसभा के प्रवेश द्वार पर सीढ़ियों पर Placards लिए बैठे थे, वे हनुमान चालीसा और “हरे राम” का जाप कर रहे थे। जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, वे “जय श्री राम” के नारे लगाते हुए वेल में कुद गए। उन्होंने नमाज कक्ष आवंटन से संबंधित आदेश को वापस लेने की मांग की।

नमाज अदा करने के‍ लिए कमरा देने से विवाद शुरू हुआ

झारखंड विधानसभा के स्‍पीकर रवींद्र नाथ महतो (Ravindra Nath Mahto) ने नमाज अदा करने के लिए झारखंड विधानसभा में कमरा नंबर TW 348 आवंटित किया था। ‘नमाज हॉल’ की अनुमति देने के फैसले का भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए 5 सितंबर को मुख्‍यमंत्री हेमेंत सोरेन और अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के पुतले जलाए थे। भाजपा विधायक सीपी सिंह (CP Singh) ने कहा था कि विधानसभा परिसर में एक भव्य मंदिर होना चाहिए।

सभी धर्मों के लिए कमरे होने चाहिए

बोकारो (Bokaro) से विधायक और भाजपा के Chief Whip बिरंची नारायण (Biranchi Narayan) ने हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन और अन्य सभी धर्मों के लोगों के लिए विधानसभा भवन में ऐसी ही कमरे आवंटित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि “सभी धर्मों के लिए कमरों के आवंटन का मतलब सभी के लिए समान सम्मान होगा। जब एक विशेष समुदाय को प्रार्थना के लिए एक कमरा आवंटित किया जा सकता है, तो दूसरों को भी वही आवंटित किया जाना चाहिए।”

झारखंड की सरकार का पक्ष

झारखंड के मुख्‍यमंत्री “नमाज कक्ष” का नाम बदलकर “प्रार्थना कक्ष” क्यों नहीं किया जाना चाहिए के सवाल पर जवाब दिया कि “ऐसा करने पर भी कुछ नहीं होगा, अगर किसी के मन में विश्वास है, तो भगवान है। लेकिन अगर किसी के मन में राक्षस है, तो हर जगह समस्या होगी। तो वहीं झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि हमने इस पर कुछ भी नया नहीं किया और पहले से ही शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए सामान्य समय से आधे घंटे पहले सदन को स्थगित करने की प्रथा थी।

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